सुप्रीम कोर्ट की फटकार से मजबूर केंद्र सरकार ने बुधवार को विदेशी बैंकों के 627 खाताधारकों की सूची शीर्ष अदालत को सौंप दी. सरकार ने तीन सीलबंद लिफाफों में ये नाम और उनकी स्टेटस रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी. हालांकि कोर्ट ने ये लिफाफे नहीं खोले और इन्हें सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से साझा करने को कहा.
HSBC बैंक की ओर से दिग गए 627 खाताधारकों के नाम में कोई भी राजनीति और इंडस्ट्री से जुड़ा बड़ा चेहरा नहीं है. सरकारी सूत्रों ने बताया कि इसमें कोई भी बड़ा नाम नहीं है. एचएसबीसी बैंक भारत से भी संचालित होता है. अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक सूत्रों ने यह भी आशंका जताई है कि 627 अकाउंट होल्डर्स में से 350 ऐसे भारतीय हैं जिनके अकाउंट्स से कुछ भी हासिल नहीं होने वाला है.
कोर्ट ने काले धन पर बने विशेष जांच दल (एसआईटी) से 30 नवंबर तक रिपोर्ट मांगी है. मामले पर अगली सुनवाई 3 दिसंबर को होनी है. कोर्ट ने कहा है कि सभी मामलों की जांच 31 मार्च 2015 तक पूरी कर ली जाए. गौरतलब है कि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को फटकार लगाते हुए सभी खाताधारकों के नाम मांगे थे.
सूची में आधे से ज्यादा भारत के नागरिक
कोर्ट की सुनवाई के बाद अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने मीडिया को बताया कि सूची में आधे से ज्यादा भारत के नागरिक हैं. जबकि बाकी एनआरआई हैं, जिन पर इनकम टैक्स लागू नहीं होता. उन्होंने बताया कि HSBC के एक नुमाइंदे ने स्विटजरलैंड के बैंक से यह लिस्ट चुराई थी. यह लिस्ट फ्रांस के पास गई थी. फ्रांस ने सशर्त इसे भारत से जुलाई 2011 में साझा किया था.
मुकुल रोहतगी ने कहा कि लिस्ट के नामों के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है. कोर्ट ने दोनों तरफ की दलीलें सुन यह फैसला किया वे इसे नहीं खोलेंगे, बल्कि एसआईटी के चेयरमैन ही इसे खोलकर आगे की कार्रवाई करेंगे. कोर्ट ने यह लिस्ट सीबीआई और ईडी से भी साझा करने का आदेश दिया है. केंद्र ने कोर्ट को बताया कि एसआईटी को यह लिस्ट 27 जून 2014 को पहले ही दी जा चुकी है. वहीं केंद्र सरकार ने भी मामले की जांच में आ रही कठिनाइयों से शीर्ष कोर्ट को अवगत कराया.
गौरतलब है कि अब तक गोपनीयता संधि का हवाला देकर केंद्र सरकार सभी नाम सौंपने से इनकार कर रही थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद सरकार ने नाम सौंपने का फैसला किया था. मंगलवार शाम वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि सरकार बुधवार को कोर्ट को विदेशी बैंक खातों में कालाधन रखने वाले सभी लोगों की सूची सौंप देगी. देखें: ब्लैक मनी का सियासी ब्लैक होल
अब बड़ी मछलियों पर कसेगा शिकंजा?
इससे पहले केंद्र सरकार ने कोर्ट को प्रदीप बर्मन, राधा टिम्ब्लो और पंकज लोढ़िया के तीन नाम बताए थे जिन्हें विपक्षी पार्टियों ने 'छोटी मछलियां' करार दिया था. आम आदमी पार्टी ने केंद्र सरकार पर चुनिंदा लोगों पर कार्रवाई करने का आरोप लगाया था. पार्टी ने दावा किया था कि उद्योगपति अंबानी बंधुओं समेत कई बड़े नामों के विदेशों में खाते हैं, लेकिन केंद्र सरकार उनके नाम नहीं बता रही है.
इसके बाद मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी. कोर्ट ने केंद्र से कहा था कि आपके रवैये से काला धन कभी वापस नहीं आएगा. आप सभी खाताधारकों के नाम हमें सौंप दें और जांच की चिंता छोड़ दें, जांच हम खुद करना लेंगे.
फटकार के बाद मानी सरकार
कोर्ट की फटकार के बाद केंद्र सरकार की ओर से अरुण जेटली सामने आए और लिस्ट सौंपने की बात करते हुए जेटली ने जोर देकर कहा था कि इसमें किसी को बचाया नहीं जाएगा. हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि सूची सार्वजनिक की जाएगी या नहीं.
जेटली ने संवाददाताओं से कहा था, 'सरकार बुधवार अदालत को यह सूची सौंपेगी. सरकार ने अदालत द्वारा गठित विशेष जांच टीम (एसआईटी) को पहले ही यानी 27 जून को यह सूची सौंप दी है. सरकार चाहती है कि कानून के अनुसार अपनाई गई किसी भी प्रक्रिया के जरिए हम इस मामले की जड़ तक जा सकें.'
हमें किसी का नाम बताने में परेशानी नही: जेटली
वित्त मंत्री ने आगे कहा कि सरकार को समूची सूची सौंपने में किसी तरह की परेशानी नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में मंगलवार को सरकार को आड़े हाथों लेते हुए सभी खाताधारकों की सूची सौंपने के लिए कहा था. इससे पहले सरकार खाताधारकों के नाम उजागर करने के उसके सुप्रीम कोर्ट के आदेश में संशोधन चाह रही थी.
जेटली ने कहा कि सरकार विदेशों में बैंक खातों में अवैध तरीके से धन रखने वाले सभी लोगों को दंडित करना चाहती है और वह कालेधन को वापस लाने के लिए हरसंभव प्रयास करेगी. उन्होंने कहा, 'इन नामों व इन खातों के बारे में सच्चाई सामने आनी चाहिए, जिससे ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकेगी और वहां रखे गए धन को देश में वापस लाया जा सके.' जेटली ने आगे कहा, 'सरकार को इस मामले में किसी भी जांच एजेंसी के साथ परेशानी नहीं है, क्योंकि कोई भी ऐसा नहीं है जिसे सरकार बचाना चाहती है. ऐसे में जो भी नाम सामने आएंगे उनकी जांच होगी और कानून के अनुसार उन्हें दंडित किया जाएगा.' जेटली ने कहा कि सरकार यह भी चाहती है कि ऐसी प्रक्रिया अपनाई जाए जिससे अन्य देश भारत के साथ सहयोग करना जारी रखें.