केंद्र सरकार विदेशों में जमा काले धन मामले में बड़ा कदम उठाने जा रही है. सरकार ने जिनेवा के एचएसबीसी बैंक के 60 भारतीय काला धन खाताधारकों और कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है. जबकि 'इंडियन एक्सप्रेस' की ओर से नामों के खुलासे को लेकर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सिर्फ नाम से नहीं होता, कार्रवाई करने के लिए पुख्ता सबूत जरूरी हैं. सरकार खाताधारकों को सजा दिलवाने और पैसे वापस करने को लेकर कार्रवाई कर रही है.
HSBC खाताधारकों के नाम के खुलासे पर जेटली ने कहा, 'सरकार ने एसआईटी से जानकारी साझा की है. 'इंडियन एक्सप्रेस' ने जो खुलासे किए हैं उनमें 2006-07 का मामला है, जबकि हमने कार्रवाई 2014 में शुरू की है. उस समय भारत सरकार ने दोनों देशों के बीच बातचीत शुरू की, लेकिन काफी समय बीत गया और अकाउंट होल्डर को काफी समय मिला.'
जेटली ने आगे कहा, 'हमारी सरकार तेजी से मामले में जांच कर रही है और दोषी पाए जाने पर खाताधारकों को सजा दिलवाने और पैसे वापस करने को लेकर कार्रवाई कर रही है. राजस्व विभाग सक्रिय है. हम पूरी जानकारी साझा नहीं कर सकते. लेकिन सिर्फ नाम के आधार पर कार्रवाई नहीं की जा सकती है. नाम के साथ पुख्ता सबूत भी चाहिए तभी कोर्ट जा सकते हैं. इसके साथ ही जो भारतीय हैं और भारत में रह रहे हैं उनके लिए अलग कानून हैं, जबकि जो विदेश में रह रहे हैं और उनका खाता है तो उनके लिए अलग कानून है.'
स्विस बैंकों में जमा कालेधन खाताधारकों के नाम उजागर करने को लेकर सरकार पर दबाव रहा है. सूत्रों के मुताबिक, जिन लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की गई है, उनमें कुछ कॉर्पोरेट, कारोबारी घराने और अन्य लोग शामिल हैं. आयकर विभाग ने अपनी जांच पूरी कर ली है और काले धन के मुद्दे पर बनाई गई एसआईटी के निर्देशों पर इनके खिलाफ अभियोजन के लिए शिकायतें दाखिल की हैं.
सोमवार को मामले में नया ट्विस्ट तब आया, जब अंग्रेजी अखार 'इंडियन एक्सप्रेस' ने खुलासा किया कि एचएसबीसी बैंक में वित्तीय वर्ष 2006-07 के दौरान 200 देशों के खाताधारकों के करीब 62 लाख करोड़ रुपये (100 बिलियन डॉलर) से ज्यादा की रकम जमा थे. अखबार ने दावा किया है कि एक ग्लोबल प्रोजेक्ट के तहत वाशिंगटन के 'इंटरनेशनल कोंसटोरियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट(आईसीआईजे) और पेरिस के 'ले-मोंडे' अखबार के साथ मिलकर की छानबीन के बाद किया है. अखबार ने इस बाबत कई भारतीय खाताधारकों और 2006-07 के दौरान उनके खाते में जमा रकम को लेकर भी खुलाया किया है.
दूसरी ओर, सरकार जिन खाताधारकों की जांच कर रही है, उन खातों में 1500 से 1600 करोड़ रुपये होने का अनुमान है. आयकर कानूनों के तहत, देश की अनेक अदालतों में शिकायतें दाखिल की गई हैं और इन मामलों में आयकर अधिकारियों ने जांच पूरी कर ली है. इन मामलों में 31 मार्च तक की सीमा है.
कालेधन पर लगेगी लगाम
अधिकारियों ने बताया कि इन नामों को सार्वजनिक करना भारतीयों द्वारा विदेशों में जमा काले धन और अवैध धन के मामलों पर लगाम कसने की सरकार की प्रतिबद्धता का हिस्सा है. आयकर विभाग बहुत तेजी से इन मामलों को निपटाना चाहता है. सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज एम बी शाह की अगुवाई वाली एसआईटी ने दिसंबर, 2014 में सरकार और सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट में कहा था कि एचएसबीसी की जिनेवा शाखा की लिस्ट में से काला धन रखने वाले खाताधारकों के नामों को जल्द बताया जाएगा.
इससे पहले स्विटजरलैंड ने कहा है कि वह भारत के साथ तेजी से सहयोग कर रहा है. याद रहे कि स्विटजरलैंड ने पहले भारतीयों के स्विस बैंक खातों के बारे में कुछ भी बताने से इनकार कर दिया था.