दिल्ली उच्च न्यायालय के बाहर हुए दिल दहला देने वाले विस्फोट में अपनी एक टांग गंवा चुका व्यक्ति वहां से दूर जाने की कोशिश में छटपटा रहा था और हर तरफ हताहतों के मांस के लोथड़े गाड़ियों के टूटे शीशों के साथ जमीन पर बिखरे पड़े थे.
धमाके के बाद परिसर में खून से सने कपड़ों में वकील और वादी बचने के लिए इधर उधर भागते देखे गए.
धमाके की प्रत्यक्षदर्शी एक प्रौढ़ महिला इस कदर खौफजदा थीं कि कुछ बोल नहीं पा रही थीं. घटना के वक्त उनका रिश्तेदार राहुल गुप्ता धमाके से करीब 10 मीटर की दूरी पर था और अब उसे सुनने में परेशानी हो रही है. वह राहुल की जमानत करवाने आयी थीं.
स्वागत कक्ष के पास खड़े राहुल गुप्ता का कहना है कि बहरा कर देने वाले इस धमाके की आवाज के बाद कुछ सुन नहीं पा रहे.
अदालत के बाहर एक निर्माणाधीन स्थल के सुरक्षाकर्मी नरेन्द्र कुमार सिंह का कहना है, ‘मैंने धमाके की तेज आवाज सुनी और धुएं का गुबार देखा.’ यह धमाका अदालत के गेट नंबर पांच पर हुआ. घटना के समय सौ दो सौ लोग प्रवेश पास पाने के लिए अपनी बारी के इंतजार में कतार बांधे खड़े थे और बड़ी संख्या में वकील भी मौजूद थे.
एक महिला वकील ने बताया कि उन्होंने अदालत की ओर जाते समय तेज धमाका सुना. उन्होंने अपनी पहचान बताने से इंकार कर दिया. उन्होंने कहा, ‘जब तक मैं वहां पहुंचती पुलिस ने रास्ते बंद कर दिए थे और लोगों को अस्पताल ले जाया जा रहा था. मैंने अपनी कार पार्किंग में खड़ी की और दरवाजे के पास गयी. मैं वाकई डर गई थी और आशा करती हूं कि मेरे दोस्त घायल न हुए हों.’ वहां मौजूद एक अन्य वकील ने बताया कि जहां धमाका हुआ है वह अदालत के सबसे भीड़भाड़ वाले दरवाजों में से एक है. यह काम का समय था जिसके कारण भीड़ और भी ज्यादा थी.
उन्होंने कहा, ‘यही वह समय होता है जब सैकड़ों की संख्या में लोग अदालत के भीतर जाने के लिए प्रवेश कार्ड बनवाने आते हैं. मैं धमाके की जगह से करीब 200 मीटर की दूरी पर था.’ धमाके के प्रत्यक्षदर्शी और पेशे से वकील अजय अग्रवाल का कहना है, ‘मैंने कान को बहरा कर देने वाली एक आवाज सुनी, उसके बाद जो हुआ वह स्तब्ध कर देने वाला था.’
घायलों को वहां से निकालने में पुलिस की मदद करने वाले एक अन्य वकील पी. एम. लूथरा ने वहां के दृश्य को वीभत्स बताया. लूथरा ने कहा, ‘जब मैंने धमाके की आवाज सुनी मैं अपने मुवकिलों को प्रवेश कार्ड दे रहा था ताकि वह अदालत की कार्रवाई में भाग ले सकें.’
उन्होंने कहा, ‘दिल्ली पुलिस के लोगों ने घायलों को तुरंत अस्पताल पहुंचाकर बहुत अच्छा काम किया.’ जहां धमाका हुआ वहां वरिष्ठ नागरिकों को प्रवेश कार्ड दिए जा रहे थे. विस्फोट के बाद वहां चारों ओर उनके चश्मे, चप्पल और कागजात आदि बिखरे पड़े थे. प्रवेश पास बांटने के लिए बनी खिड़की बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई.