केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया किया कि देश में पॉर्न वेबसाइट्स को बंद करना संभव नहीं है और इससे अधिक नुकसान हो सकता है क्योंकि ऐसे शब्दों से संबंधित कोई भी सर्च जनता के लिए इंटरनेट पर उपलब्ध नहीं होगा.
जस्टिस बी एस चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल केवी विश्वनाथन ने कहा कि इस तरह की वेबसाइट्स को बंद करने से अधिक नुकसान होगा.
उन्होंने कहा, ‘सब कुछ बंद हो जाएगा और यहां तक की अच्छा साहित्य भी बंद हो जाएगा और इससे अधिक नुकसान होगा.’ उन्होंने कहा कि ऐसी वेबसाइट्स को बंद करने के लिए प्रत्येक कंप्यूटर में एक सॉफ्टवेयर लगाना पड़ेगा और सभी कंप्यूटर निर्माताओं के लिये ऐसा सॉफ्टवेयर लगाने के लिए निर्देश देना पड़ेगा.
कोर्ट इन्दौर निवासी वकील कमलेश वासवानी की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था. इस याचिका में कहा गया है कि हालांकि अश्लील वीडियो देखना अपराध नहीं है लेकिन ऐसी साइट्स पर पाबंदी लगाई जानी चाहिए क्योंकि महिलाओं के प्रति अपराध की यह एक बड़ी वजह है.