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केरल: बार मालिकों को झटका, हाईकोर्ट ने राज्य में शराब पर प्रतिबंध लगाया

केरल के बार मालिकों को तगड़ा झटका देते हुए केरल हाईकोर्ट ने राज्य में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है. केरल हाईकोर्ट के जज के सुरेंद्र ने गुरुवार दोपहर बाद ये फैसला सुनाया.

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केरल हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की नई आबकारी नीति को गुरुवार को वैध ठहराहते हुए राज्य में होटलों में चल रहे 700 शराब बार बंद करने के राज्य सरकार के फैसले को बरकरार रखा है. कोर्ट के इस फैसले को वहां की यूडीएफ (कांग्रेस के नेतृत्व वाली) सरकार के लिए बड़ा संबल माना जा रहा है जो कि 2023 तक पूर्ण शराबबंदी का लक्ष्य लेकर चल रही है.

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कोर्ट ने हालांकि 4-स्टार होटलों व धरोहर श्रेणी के होटलों में 33 बार का परिचालन जारी रखने की छूट दी है. हालांकि सरकार ने फाइव स्टार के नीचे दर्जे वाले सभी होटलों पर बार पर प्रतिबंध लगाया था. कोर्ट ने फाइव स्टार होटलों में 20 बार के संचालन की अनुमति दी है. केरल बार संचालकों ने राज्य सरकार के आदेश को अदालत में चुनौती दी थी जिस पर जस्टिस सुरेंद्र मोहन ने फैसला सुनाया.

राज्य सरकार ने 22 अगस्त को फाइव स्टार श्रेणी से नीचे से सभी होटलों में शराब के बार बंद करने का फैसला किया था. राज्य सरकार ने प्रदेश में शराब की उपलब्धता कम करने के लिए नई आबकारी नीति को मंजूरी दी थी.

एसोसिएशन ने कोर्ट से कुछ समय का वक्त मांगा था, ताकि एकल न्यायाधीश वाली पीठ के फैसले के खिलाफ अपील कर सकें, लेकिन अब सभी दो सितारा एवं तीन सितारा होटलों को तत्काल प्रभाव से सचालन बंद करना होगा.

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केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि सरकार की शराब नीति को स्वीकार किया गया है और जितने बार बंद किए गए हैं, उनकी संख्या को देखते हुए यह नहीं कहा जा सकता कि यह आंशिक जीत है.

इधर, विपक्ष के नेता वी. एस. अच्युतानंदन ने कहा कि यह सरकार की विफलता है, क्योंकि सरकार ने तो सिर्फ पांच सितारा होटलों को शराब परोसने की अनुमति दी थी, लेकिन कोर्ट द्वारा गुरुवार को दिए गए फैसले में चार सितारा होटलों को भी यह मंजूरी दी गई है.

केरल सरकार की नई शराब नीति के मुताबिक चरणबद्ध तरीके से राज्य को पूरी तरह से शराब मुक्त कराने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके तहत 21 पांच सितारा होटल बार में शराब परोसने की अनुमति दी गई है और शेष सभी बार को बीते 12 सितंबर से बंद कर दिया गया है. हाई कोर्ट ने तीन सितंबर को सरकार के निर्णय को बरकरार रखते हुए फैसला सुनाया था, जिसके बाद एसोसिएशन ने केरल हाई कोर्ट में अपील की थी. एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में राहत मांगी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मामला वापस हाई कोर्ट में भेज दिया था.

राज्य आबकारी मंत्री के. बाबू ने कहा कि यह फैसला राज्य सरकार की शराब नीति की नाकामयाबी नहीं है. उन्होंने कहा, ‘हम कोर्ट के फैसले का अध्ययन करेंगे और उसके बाद अगली कार्रवाई के बारे में फैसला लेंगे.’

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राज्य कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष वी. एम. सुधीरन ने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इसने राज्य की शराब नीति को बरकरार रखा है. सुधीरन ने कहा, ‘हम देखेंगे कि चार सितारा होटलों को भी मौजूदा सूची से हटाने के लिए आगे क्या किया जा सकता है और इसके लिए हम कानून के तहत ही कोई कदम उठाएंगे.’

आपको बता दे कि देश में सबसे ज्यादा शराब की खपत केरल में होती है और इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सिर्फ शराब की बिक्री से सरकार सालाना 9,000 करोड़ रुपये का कारोबार करती है.

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