महाराष्ट्र में शिवसेना को दो बार ज़ोरदार झटके लगे हैं और वे भी भाजपा से. पहला तब, जब भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनावों में अच्छी तादाद में सीटें जीतकर शिवसेना को अप्रासंगिक कर दिया था. दूसरा झटका लगा गुरुवार को जब बीएमसी के नतीजे आए. मैदान में शिवसेना को डरा चुकी भाजपा ने अब शिवसेना का घर हिला दिया है.
शिवसेना ने मुंबई में भाजपा से बेहतर प्रदर्शन किया है. लेकिन यह अंतर चंद एक सीटों का है. इस खेल में इसबार रनरअप ही विनर है और यह शिवसेना से बेहतर कोई नहीं समझता.
आत्मविश्वास से भरे उद्धव ठाकरे शायद गुरुवार को चैन से सो भी नहीं पाएंगे क्योंकि उनकी जीत की खुशी से कहीं बड़ी चिंता भाजपा की अप्रत्याशित जीत है. भाजपा ने शिवसेना के आत्मविश्वास और दुर्ग को हिला दिया है. महाराष्ट्र की पहचान पर बनी शिवसेना अब भाजपा के आगे काफी छोटी और असहाय नज़र आ रही है.
जीत की मिठाई उद्धव को इसलिए भी फीकी लग रही होगी क्योंकि मराठा अस्मिता और पहचान के तौर पर सींचे गए मुंबई में शिवसेना को भाजपा से ही टक्कर मिलेगी और भाजपा उनपर निर्भरता की आदत को चीरकर खुद खड़ी हो जाएगी, ऐसा उन्होंने सोचा नहीं था. भाजपा की जीत शिवसेना को मिले जनादेश पर बट्टा लगा रही है.
साथ ही शिवसेना को अपना घर और अपनी चौधराहट जाती नज़र आ रही है. भाजपा की जीत में शिवसेना के भविष्य की चिंताएं छिपी हैं. जिस तेवर और तड़ी के साथ उद्धव इस चुनाव में उतरे थे और जिस तरह उन्होंने राज ठाकरे तक से हाथ मिलाने से मना कर दिया था, यह जनादेश उस पूरे अहम को ज़ोरदार ठोकर मारता नज़र आता है.
केवल मुंबई ही है जहां शिवसेना की जीत उनको सांत्वना देती नज़र आती है. बाकी का महाराष्ट्र भाजपामय नज़र आ रहा है. मैदानों में फैलती भाजपा अब शिवसेना के घर में भी आग की तरह दाखिल हो गई है और इसीलिए शिवसेना की जीत विवाह के शामियाने में आग लगने जैसी अफरातफरी पैदा कर रही है.
संभव है कि राजनीति की निर्भरताएं दोनों को एक-दूसरे के साथ लाकर खड़ा कर दें और दोनों एकसाथ बीएमसी संभालते नज़र आएं, लेकिन इस साथ में शिवसेना अपनी कचोट को नहीं भुला पाएगी और उसकी जीत में छिपी हार सपनों में भी उद्धव को परेशान करती रहेगी.
भाजपा के लिए यह जीत सोने पर सुहागा है. वो महाराष्ट्र में और आत्मविश्वास से भरी खड़ी नज़र आएगी. वो महाराष्ट्र में अपने ग़ैर-मराठी (और यहां यूपी के मतदाता सीधे कहा जाए तो बेहतर होगा) के माध्यम से यह संदेश यूपी के बाकी चरणों तक भी पहुंचाना चाहेगी.
भाजपा समर्थकों और मोदी प्रशंसकों ने इसे अभी से नोटबंदी पर भाजपा की जीत कहकर सोशल मीडिया पर प्रचार शुरू कर दिया है. शुक्रवार को जब भाजपा के स्टार प्रचारक यूपी में चुनाव की रणभेरियां फूंक रहे होंगे, तो उसमें मुंबई और महाराष्ट्र की जीत की हुंकार भी शामिल होगी.
(इति)