सीबीआई ने बोफोर्स मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. एक बार फिर राजनीतिक चर्चा में बीच में बोफोर्स आ गया है. इस बीच निजी जासूस माइकल हर्शमैन ने बयान दिया है कि अभी तक इस मामले में सीबीआई ने उनसे कोई संपर्क नहीं किया है. वह चाहते हैं कि वो भी इस इन्वेसिटगेशन का हिस्सा बने. बता दें कि माइकल हर्शमैन के बोफोर्स को लेकर कई प्रकार के दावे किए थे.
बता दें कि पिछले सप्ताह ही सीबीआई इस मामले में सुप्रीम कोर्ट गई है. जब हर्शमैन से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अगर इस मामले की जांच सही तरीके से आगे बढ़ती है तो वह जांच में मदद करने को तैयार हैं. गौरतलब है कि हर्शमैन को तत्कालीन वित्तमंत्री वीपी सिंह के द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के लिए गठित किया गया था, जिसके बाद बोफोर्स मामले की बात सामने आई थी.
गौरतलब है कि बोफोर्स केस के आरोपियों को दिल्ली हाईकोर्ट ने मई 2005 में बरी कर दिया था. बोफोर्स मामला 64 करोड़ रुपये की दलाली से जुड़ा है. बोफोर्स केस 1987 में सामने आया था.
इसमें स्वीडन से तोप खरीदने के सौदे में रिश्वत के लेनदेन के आरोपों में तत्कालीन प्रधानमंत्री दिवंगत राजीव गांधी और दिवंगत इतालवी कारोबारी ओतावियो क्वात्रोकी के नाम सामने आया था.
दिल्ली हाईकोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश आर एस सोढ़ी ने 31 मई, 2005 को हिंदूजा भाइयों श्रीचंद, गोपीचंद व प्रकाशचंद और बोफोर्स कंपनी के खिलाफ सभी आरोप निरस्त कर दिए थे. सीबीआई को मामले से निपटने के उसके तरीके के लिए यह कहते हुए फटकार लगायी थी कि इससे सरकारी खजाने पर करीब 250 करोड़ रुपये का बोझ पड़ा.