मैगी पर लगे बैन के खिलाफ इस बनाने वाली कंपनी नेस्ले ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. नेस्ले की याचिका पर हाईकोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई होगी.
नेस्ले का कहना है कि वह पिछले तीस सालों से मैगी बेच रही है, जो कि 14 फैक्ट्रियों में बनती हैं. नेस्ले का दावा है कि कच्चे सामानों से लेकर पूरे प्रोडक्ट की जांच वह खुद तो करती ही है, साथ ही बाहर के कुछ लैब में भी उनकी जांच-पड़ताल करवाती है.
नेस्ले ने अपनी याचिका पर फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट 2006 के अनुवाद पर भी सवाल उठाए हैं. साथ ही कहा है कि FSSAI का आदेश इस एक्ट के सेक्शन 35 का उलंघन करता है.
नेस्ले ने अपनी याचिका में यह भी कहा कि सभी अधिकारियों ने मैगी को बैन करने से पहले लोगों के सेहत पर पड़ने वाले इसके असर को भी नहीं परखा. कंपनी का दावा है कि मैगी में लेड की जो मात्रा मापी गई है, उसका तरीका गलत है. साथ ही मैगी के मसाला और उसके नूडल को अलग-अलग मापना गलत है.
नेस्ले का कहना है कि मैगी को बैन करना और नेस्ले को अपने प्रोडक्ट मार्केट से वापस लेने का आदेश देना, दोनों ही गलत है. कंपनी ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दी है कि वह FSSAI के आदेश पर रोक लगाए.
नेस्ले इंडिया का कहना है, 'हम बाजार से मैगी उत्पादों को वापस ले रहे हैं. अदालत में याचिका दायर करने से इस प्रक्रिया पर कोई असर नहीं पड़ेगा.'
गौरतलब है कि खाद्य सुरक्षा अथॉरिटी द्वारा मैगी की जांच में अत्यधिक मात्रा में शीशा मिलने के बाद कंपनी को बाजार से मैगी वापस लेने का निर्देश दिया गया था.
कई राज्यों ने मैगी पर प्रतिबंध भी लगा दिया है. FSSAI ने जांच के दायरे में नूडल्स और पास्ता जैसे अन्य ब्रांडों को भी शामिल किया है. उधर, नेस्ले की मैगी इकाइयों ने कर्मचारियों की छंटनी शुरू कर दी है.