विदेशी फंड के दुरुपयोग मामले में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आलम को बॉम्बे हाई कोर्ट ने अग्रिम जमानत दे दी है. कोर्ट ने तीस्ता को 20 हजार रुपये के निजी मुचलके पर यह जमानत दी है. कोर्ट ने यह भी कहा कि बिना मंजूरी के वे देश छोड़कर बाहर नहीं जा सकते.
जस्टिस मृदुला भाटकर ने मंगलवार को दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला दिया कि कस्टडी में लेकर पूछताछ की कोई जरूरत नहीं है. इससे पहले हुई सुनवाई में कोर्ट ने दोनों को गिरफ्तारी से 17 दिन की अंतरिम राहत दी थी. मंगलवार को कोर्ट को यह फैसला करना था की दोनों को मिली राहत को और बढ़ाना है या नहीं.
क्या हैं आरोप
सीबीआई ने तीस्ता सीतलवाड़ और जावेद आलम के खिलाफ बीती 8 जुलाई को मामला दर्ज किया था. इसमें आरोप है कि उनकी फर्म सबरंग कम्युनिकेशन एंड पब्लिशिंग प्राइवेट लिमिटेड ने विदेशी योगदान नियमन कानून (एफसीआरए) का उल्लंघन करते हुए 2.9 लाख अमेरिकी डॉलर (1.8 करोड़ रुपये) हासिल किए थे.
'अलग विचार रखना खतरा नहीं'
फिलहाल, कोर्ट के फैसले के बाद अब सीबीआई सामाजिक कार्यकर्ता और उनके पति को गिरफ्तार नहीं कर सकती. बड़ी बात ये कि हाईकोर्ट ने सीबीआई के उस दावे को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया कि तीस्ता और उनके पति की गतिविधियां देश के लिए खतरा हैं. अदालत ने कहा कि किसी भी नागरिक को अलग विचार रखने का अधिकार है. अलग विचार रखना देश की अखंडता के लिए खतरा नहीं हो सकता.
जुलाई महीने में सीबीआई ने तीस्ता के घर और दफ्तर पर छापा भी मारा था. तीस्ता के वकील की तरफ से दलील दी गई थी कि मामले से जुड़े सभी दस्तावेज सीबीआई को दिए जा चुके हैं और कई दौर की पूछताछ भी हो चुकी है इसलिए हिरासत में लेकर पूछताछ की कोई जरूरत नहीं है.