गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों को उनके राशन कार्ड के जरिये मुफ्त दवा और स्पेशियलटी सरकारी अस्पतालों में जांच की सुविधा मिल सकती है. सब्सिडी को जरूररतमंदों तक पहुंचाने की दिशा में सरकार काम कर रही है. सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) से करदाताओं और शीर्ष अधिकारियों को बाहर करने की तैयारी भी चल रही है.
केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने कहा, ‘इस मुद्दे पर विचार विमर्श चल रहा है. हम ऐसे समाधान पर काम कर रहे हैं जिसके तहत बीपीएल लोगों को उनके राशन कार्ड के आधार पर मुफ्त दवाएं और अन्य सुविधाएं मिल सकें.’ उन्होंने कहा कि गरीबों को दिक्कतें आ रही हैं विशेष रूप से उन राज्यों में जहां नया खाद्य कानून लागू किया गया है. पासवान से पूछा गया था कि क्या सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएगी कि नए राशनकार्ड पहचान पत्र और अन्य लाभों में भूमिका निभाएंगे.
इस बीच, सरकार आयकरदाताओं व सरकार के शीर्ष अधिकारियों को पीडीएस के दायरे से बाहर करने की योजना बना रही है. नरेंद्र मोदी सरकार ने राज्यों से इस तरह की योजना आजमाने को कहा है. पासवान इस मुद्दे पर उनके साथ विचार विमर्श करेंगे.
नहीं बंद होगा UPA का खाद्य कार्यक्रम
इसके अलावा सरकार ने इस बारे में भी काफी संकेत दिए हैं कि यूपीए सरकार के महत्वाकांक्षी खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम को बंद नहीं किया जाएगा. बल्कि केंद्र सरकार इस योजना को और बेहतर करने की तैयारी कर रही है जिससे लक्षित लाभार्थियों को बेहतर तरीके से लाभ मिल सके और राज्यों की ओर से उठाए गए खाद्यान्न पात्रता के मुद्दे को सुलझाया जा सके.
पासवान ने कहा, ‘यह संभव है. हम इस दृष्टि से सोच रहे हैं. गरीब लाभार्थियों की पहचान करने से बेहतर है कि उन लोगों का पता लगाया जाए, जिन्हें इस योजना से बाहर किया जाना है.’ उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार का उदाहरण दिया, जो योजना का क्रियान्वयन इसी सोच के साथ कर रही है.
पीडीएस के दायरे से बाहर होंगे बड़े अधिकारी
पासवान ने कहा, ‘पहली और दूसरी श्रेणी के अधिकारी और करदाताओं को राज्य में पीडीएस के दायरे से बाहर किया जा सकता है. हमें सभी राज्यों को इसे अजमाने को कहा है. मैं राज्य सरकारों के साथ इस पर विचार विमर्श करूंगा.’ इसके साथ ही पासवान ने पीडीएस के परिचालन पर असंतोष जताया. उन्होंने कहा गरीबों को जो लाभ मिलना चाहिए वह उन्हें नहीं मिल रहा है. पीडीएस के बारे में काफी शिकायतें आ रही हैं.
नए खाद्य सुरक्षा कानून से पहले राशन कार्ड बीपीएल परिवारों के लिए पहचान पत्र (आईडी) का काम करते थे. इसके जरिये ही ऐसे परिवारों को बेहद सस्ता अन्न और दूसरे लाभ उपलब्ध कराए जाते थे. नए खाद्य सुरक्षा कानून में बीपीएल खंड को समाप्त किए जाने के साथ केंद्र और राज्य सरकारों की योजनाओं में इस श्रेणी के गरीब मुफ्त स्वास्थ्य जांच, मुफ्त दवा और अन्य आवासीय सुविधाओं से वंचित हो गए हैं, क्योंकि अब ये लाभ पाने के लिए राशन कार्ड की मान्यता पहचान पत्र में रूप में नहीं रह गई है. वास्तव में नए खाद्य कानून के तहत राज्य सरकारें नए तरीकों से लाभार्थियों की पहचान कर रही हैं और उन्हें नए राशन कार्ड जारी कर रही हैं. ये राशन कार्ड बीपीएल लोगों को अन्य लाभ प्रदान करने के लिए आईडी कार्ड के रूप में मान्य नहीं होंगे.
अभी तक 11 राज्यों ने खाद्य कानून लागू किया है. इनमें हरियाणा, राजस्थान, पंजाब और छत्तीसगढ़ ने पूर्ण रूप से इन कानून का क्रियान्वयन किया है. वहीं दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, चंडीगढ़, मध्य प्रदेश और बिहार ने आंशिक रूप से इस कानून को लागू किया है.
सरकार का खाद्य सब्सिडी बिल बढ़ेगा
उन्होंने इस बात को भी खारिज किया कि नई सरकार पूर्ववर्ती सरकार द्वारा पिछले साल शुरू की गई योजना को हटाने को लेकर इच्छुक नहीं है. उन्होंने कहा, ‘किसी तरह के उत्साह की कमी नहीं है. कई राज्यों ने इस कानून का विरोध किया है. हम इस कानून को जल्छ से जल्द लागू करने का प्रयास कर रहे हैं. हमने तीन महीने का विस्तार दिया है. राज्यों को समय का और विस्तार दिया जा सकता है.
नए खाद्य कानून के तहत सरकार समान पांच किलोग्राम खाद्यान्न प्रति व्यक्ति प्रदान करेगी. इसमें चावल तीन रुपये किलो, गेहूं दो रपये किलो व मोटा अनाज एक रुपये किलो की दर पर दिया जाएगा. मौजूदा अंत्योदय अन्न योजना के परिवारों को प्रति परिवार मासिक 35 किलोग्राम खाद्यान्न मिलता रहेगा. इस कानून के क्रियान्वयन के साथ सरकार का खाद्य सब्सिडी बिल 25,000 करोड़ रुपये बढ़कर 1.31 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा.