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मायावती बोलीं-भीमराव अंबेडकर के नाम पर नौटंकी कर रही है सरकार

मायावती ने आरोप लगाया कि अंबेडकर के नाम के साथ राजनीति की जा रही है. उन्होंने कहा कि लोगों में अंबेडकर को लेकर अपार श्रद्धा है और उनका नाम सम्मान के साथ लेते हैं. लोग जब भी उनका नाम लिखते हैं तो सबसे पहले परम पूज्य शब्द का इस्तेमाल करते हैं.

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उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती (फाइल फोटो)
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती (फाइल फोटो)

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उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकार की ओर से भीमराव अंबेडकर के नाम में बदलाव कर भीमराव रामजी अंबेडकर करने पर विवाद बढ़ता जा रहा है, इसको लेकर पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सत्तारुढ़ पार्टी पर आरोप लगाया कि उनका नाम लेकर लोग नौटंकी कर रहे हैं.

मायावती ने आरोप लगाया कि अंबेडकर के नाम के साथ राजनीति की जा रही है. उन्होंने कहा कि लोगों में अंबेडकर को लेकर अपार श्रद्धा है और उनका नाम सम्मान के साथ लेते हैं. लोग जब भी उनका नाम लिखते हैं तो सबसे पहले परम पूज्य शब्द का इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने अपना पूरा जीवन दलितों के लिए जिया और उनके कल्याण के लिए काम किया. यही कारण है कि वो इतने परम पूज्य हैं.

अंबेडकर के नाम में पिता का नाम जोड़े जाने की प्रासंगिकता पर सवाल उठाते हुए मायावती ने कहा कि यह सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का हथकंडा है.

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नाम में पिता का नाम जोड़ा गया

उत्तर प्रदेश में अब संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का नाम बदला जाएगा. अंबेडकर के नाम के साथ अब उनके पिता 'रामजी मालोजी सकपाल' का नाम भी जोड़ा जाएगा. राज्यपाल राम नाइक की सलाह के बाद योगी सरकार ने यह फैसला लिया है. अब उनका नाम 'डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर' होगा.

कहा जा रहा है कि राज्यपाल राम नाइक ने इसको लेकर 2017 में एक कैंपेन चलाया था. इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी खत लिखा था. वह उनके नाम में बदलाव के लिए पिछले एक साल से अभियान चला रहे थे. उन्होंने नाम में बदलाव के लिए उस दस्तावेज का भी हवाला दिया था, जिसमें भीमराव अंबेडकर के हस्ताक्षरों में 'रामजी' नाम शामिल था.

हालांकि नाम बदलने जाने पर राजनीतिक विरोध तेज हो गया है. बीजेपी सांसद उदित राज ने आपत्ति दर्ज की है. उन्होंने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर के नाम के मध्य में रामजी लिखे जाने से अनावश्यक विवाद खड़ा किया गया है.

भरत के संविधान का मुख्य निर्माता अंबेडकर को माना जाता है. वह आजाद देश के पहले कानून मंत्री थे. साल 1990 में उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया था. अंबेडकर ने ही छुआछूत, दलितों, महिलाओं और मजदूरों से भेदभाव जैसी कुरीति के खिलाफ आवाज उठाई.

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साल 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया, जिसके कारण लाखों दलितों ने ऐसा किया. 6 दिसंबर 1956 को मधुमेह से पीड़ित होने के कारण उनकी मृत्यु हो गई थी.

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