दुनिया के सर्वकालिक महान बल्लेबाज सर डोनाल्ड ब्रेडमैन को अब एक ‘वैज्ञानिक आकलन’ में भी ‘सर्वश्रेष्ठ’ माना गया है जबकि टेस्ट और एकदिवसीय मैचों में सर्वाधिक रन बनाने वाले मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर किसी आकलन में शीर्ष में जगह नहीं बना सके.
यह आकलन टेस्ट क्रिकेट में बल्लेबाजों के प्रदर्शन के आधार पर किया गया है और इसमें कई पहलुओं पर गौर किया गया है जिसमें रन बनाने में निरंतरता, बल्लेबाजों के रनों की टीम में अहमियत और घरेलू तथा विदेशी सरजमीं पर रिकार्ड शामिल है.
यह अध्ययन दो अर्थशास्त्रियों यूनिवर्सिटी ऑफ उल्स्टर के वानी के बरूआ और यूनिवर्सिटी आफॅ क्वीन्सलैंड के जान ई मैंगन ने किया है जो जरनल आफॅ क्वांटिटेटिव एनालिसिस इन स्पोर्ट्स में ‘द ब्रेडमैन क्लास: एन एक्सप्लोरेशन आफ सम इश्यूज इन द इवैलुएशन आफ बैट्समैन फोर टेस्ट मैच, '1877-2006' के नाम से छपा है.
इस अध्ययन में पाया गया कि ब्रेडमैन हर मामले में अन्य बल्लेबाजों से अव्वल हैं. इतना ही नहीं इस अध्ययन में कई और रोचक तथ्य सामने आये हैं जबकि कैरियर औसत के आधार पर सिर्फ पांच भारतीयों को शीर्ष 50 में जगह मिली है.
किसी बल्लेबाज के रनों की टीम में अहमियत को आधार बनाने पर ब्रेडमैन शीर्ष पर हैं जबकि उनके बाद जार्ज हैडली, एवर्टन वीक्स और ब्रायन लारा की वेस्टइंडीज की तिकड़ी का नाम आता है. इंग्लैंड के वाली हैमंड और लेन हटन दोनों को पांचवें स्थान पर रखा गया है.{mospagebreak}
वीरेंद्र सहवाग छठे जबकि राहुल द्रविड़ दसवें स्थान के साथ शीर्ष 10 में जगह बनाने में सफल रहे हैं और पिछले कुछ समय में टीम इंडिया में इन दोनों बल्लेबाजों की अहमियत दर्शाता है.
विनोद कांबली भले अपने अंतरराष्ट्रीय कैरियर को लंबा खींचने में असफल रहे हो लेकिन बायें हाथ के इस बल्लेबाज को उनके बाल सखा मास्टर ब्लास्टर तेंदुलकर के साथ 11वें स्थान पर रखा गया है. इसके बाद लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर का नंबर आता है जो 12वें पायदान पर हैं.
लगातार रन बनाने को आधार बनाये तो भारतीय बल्लेबाजों में टीम इंडिया की ‘वाल’ द्रविड़ :चौथे स्थान: ने सबको पीछे छोड़ दिया है. तेंदुलकर पांचवें नंबर पर हैं जबकि उनके बाद गावस्कर (11), सहवाग (12) और विनोद कांबली (13) का नंबर आता है.
टीम के स्कोर में कैरियर योगदान के आधार पर भी द्रविड़ :पांचवें: बाजी मारने में सफल रहे. गावस्कर भी पांचवें स्थान पर रहे. इस सूची में तेंदुलकर और सहवाग छठे जबकि कांबली आठवें स्थान पर हैं.
इस अध्ययन में हालांकि कई पहलुओं को नजरअंदाज भी कर दिया गया है. मसलन, इसमें 1877 से 2006 के बीच की बल्लेबाजी औसत को ही शामिल किया गया है जबकि इसके बाद के प्रदर्शन पर गौर नहीं किया गया.