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गलवान घाटी में चीन के लंबे वक्त के मंसूबों का सैटेलाइट डेटा से खुलासा

हाल में ही यानि 11 जून को ली गई तस्वीर से चीन की ओर से गलवान नदी घाटी की यथास्थिति में बदलाव लाने के चीनी सेना की निश्चित साजिश का पता चलता है. चीन ने पहली बार इस क्षेत्र पर सम्प्रभुता का दावा किया है.

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Photo Credits: AP
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  • क्षेत्र की यथास्थिति में बदलाव लाने की चीन की साजिश बेनकाब
  • हॉकआई 360 ने आजतक/इंडिया टुडे के साथ साझा किए डेटा

क्या चीन ने गलवान घाटी में लंबे समय तक डेरा डाले रखने के लिए पूरी तैयारी के साथ रुख किया? क्या चीन काफी अर्से से इस हिमाकत के लिए तैयारी कर रहा था? रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) सिग्नल और हाई रेजोल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरों के हाईटेक कॉम्बिनेशन से तैयार सैटेलाइट डेटा से यही पता चलता है कि चीनी सेना ने गलवान घाटी में सोचे समझे प्लान को पूरी तैयारी से अंजाम दिया.

अमेरिका स्थित जियो-एनालिटिक्स फर्म हॉकआई 360 (HawkEye 360) पृथ्वी पर सिग्नल एमिटर्स को जियो-लोकेट करने के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी सिग्नल्स का इस्तेमाल करती है. हॉकआई 360 की ओर से उपलब्ध कराए गए डेटा और प्लैनेट लैब्स की हाई रिजोल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरों की मदद से पता चलता है कि चीन नियंत्रित क्षेत्र मे भारी मशीनरी और उपकरण तैनात हैं.

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galwan_061820112525.jpegप्लेनेट लैब्स/ हॉकआई 360, कर्नल (रिटायर्ड) विनायक भट की ओर से विश्लेषित

हॉकआई 360 की ओर से आजतक/इंडिया टुडे के साथ साझा किए गए डेटा का विश्लेषण जाने-माने सैटेलाइट इमेजरी एक्सपर्ट कर्नल ((रिटायर्ड) विनायक भट ने किया. कर्नल भट ने चीन नियंत्रित क्षेत्र में संभावित सड़कों के निर्माण, छोटे पुलों, मानव निर्मित्त पानी के चैनल्स, मशीनरी, संभावित एयर डिफेंस कमांड्स और अनेक प्री-फैब्रिकेटेड झोपड़ियों की पहचान की.

galwan_061820113045.jpegनिर्माणाधीन PLA साइट पर करीब से नजर (प्लेनेट लैब्स/ हॉकआई 360, कर्नल (रिटायर्ड) विनायक भट की ओर से विश्लेषित)

कर्नल भट के मुताबिक चीनी पक्ष की ओर ये भारी तैनाती वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से करीब 40 किलोमीटर दूर है. गलवान घाटी ही वे क्षेत्र है जहां LAC के पास 15 जून को चीनी सैनिकों ने दुस्साहस दिखाते हुए भारतीय सैनिकों पर पूर्व नियोजित रणनीति के तहत हमला किया. इस हमले में कमांडिंग ऑफिसर समेत भारत के 20 सैन्यकर्मी शहीद हुए.

हाल में ही यानि 11 जून को ली गई तस्वीर से चीन की ओर से गलवान नदी घाटी की यथास्थिति में बदलाव लाने के चीनी सेना की निश्चित साजिश का पता चलता है. चीन ने पहली बार इस क्षेत्र पर सम्प्रभुता का दावा किया है.

galwan_061820113152.jpegनिर्माणाधीन PLA साइट पर करीब से नजर (प्लेनेट लैब्स/ हॉकआई 360, कर्नल (रिटायर्ड) विनायक भट की ओर से विश्लेषित)

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चीनी प्लान का खुलासा

LAC से दूर पोजीशन होने की वजह से चीन की गतिविधियां छिपी हुई थीं, क्योंकि अधिकतर ओपन सोर्स एनालिस्ट्स ने LAC के पास गलवान नदी घाटी के अंदर की गतिविधियों पर फोकस किया था. इस साइट को सबसे पहले हॉकआई 360 ने रेडियो फ्रीक्वेंसी के पैटर्न में बदलाव की वजह से पकड़ा. हॉकआई 360 ने तीन सैटेलाइट्स के कलस्टर से बने कॉन्सटेलेशन का इस्तेमाल किया.

galwan_061820113307.jpegनिर्माणाधीन PLA साइट पर करीब से नजर (प्लेनेट लैब्स/ हॉकआई 360, कर्नल (रिटायर्ड) विनायक भट की ओर से विश्लेषित)

अमेरिकी विश्लेषकों ने फिर सैटेलाइट इमेजरी फर्म प्लैनेट लैब्स की ओर से इसी क्षेत्र की ली गई एक हाई रिजोल्यूशन तस्वीर पर टास्किंग (काम किया) की. हालांकि ये टास्किंग 29 मई को की गई, खराब मौसम की वजह से सैटेलाइट तस्वीरे साफ नहीं दिख रही थीं. 11 जून को ली गईं साफ सैटेलाइट तस्वीरों से चीन की बड़े पैमाने पर तैनाती और PLA की ओर से किए जा रहे निर्माण को देखा जा सकता है.

galwan_061820113447.jpegनिर्माणाधीन PLA साइट पर करीब से नजर (प्लेनेट लैब्स/ हॉकआई 360, कर्नल (रिटायर्ड) विनायक भट की ओर से विश्लेषित)

कर्नल भट ने आजतक/इंडिया टुडे को बताया, "क्षेत्र में दिख रहीं नई चौड़ी सड़कों का इस्तेमाल चीनी सैनिकों की अतिरिक्त तैनाती के लिए किया जा सकता है." उन्होंने लाल रंग के ढांचों की ओर इंगित करते हुए कहा कि ये इन ढांचों की चीनी पहचान पर जोर देने के मकसद से किया गया.

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