ब्रिटेन के विदेश मंत्री विलियम हेग ने मंगलवार को संसद को बताया कि 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से आतंकवादियों को निकालने के लिए चलाए गए ऑपरेशन ब्लू स्टार में ब्रिटिश सेना की भूमिका सीमित और बिलकुल सलाहकार की थी. हेग ने कहा कि ब्रिटेन ने स्वर्ण मंदिर में चलाए गए वास्तविक अभियान में कोई भूमिका नहीं निभाई.
तत्कालीन प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर द्वारा कथित तौर पर ब्रिटिश सहायता मुहैया किए जाने की जांच के निष्कर्ष पर एक बयान में हेग ने कहा, 'रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि ब्रिटेन की सहायता की प्रकृति बिलकुल सलाहकार की और सीमित थी और भारत सरकार को उसकी योजना के शुरुआती चरण में यह (सलाह) मुहैया कराई गई थी.'
करीब 200 फाइल और 23,000 दस्तावेजों के विश्लेषण से इस बात की पुष्टि हुई है कि ब्रिटिश सेना के एक परामर्शदाता ने 8 फरवरी और 19 फरवरी 1984 के बीच भारत की यात्रा की थी. उनकी यह यात्रा मंदिर परिसर में मौजूद सशस्त्र लोगों के खिलाफ अभियान की रूप रेखा तैयार करने की आकस्मिक योजना पर भारतीय खुफिया सेवा को सलाह देने के लिए हुई थी, जिसमें उस स्थान (स्वर्ण मंदिर) की जमीनी टोह लेना भी शामिल था.
हेग ने बताया कि कैबिनेट सचिव की रिपोर्ट में मौजूदा सैन्य कर्मी का एक विश्लेषण भी शामिल है, जिसके मुताबिक जून 1984 का वास्तविक अभियान फरवरी में ब्रिटिश सैन्य परमार्शदाता द्वारा दिए गए सुझाव से अलग था. ऑपरेशन ब्लूस्टार एक जमीनी हमला था. इसमें चौंकाने वाली कोई चीज नहीं थी.
कैबिनेट सचिव की रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि ब्रिटिश सैन्य अधिकारी की सलाह का ऑपरेशन ब्लू स्टार पर सीमित प्रभाव था. इस साल 15 जनवरी को ऑपरेशन कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल बरार द्वारा दिए गए बयान के यह अनुरूप है, जिन्होंने कहा था कि किसी ने भी न ही हमारी योजना में मदद की और न ही इसे अंजाम देने में.
हेग ने कहा कि ये निष्कर्ष भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और थैचर के बीच 14 जून तथा 29 जून 1984 को हुए पत्राचार के अनुरूप है, जिसमें ऑपरेशन पर चर्चा की गई थी. मंत्री ने सांसदों से कहा कि कैबिनेट सचिव जेरमी हेवुड की रिपोर्ट में पांच अतिरिक्त दस्तावेजों के प्रासंगिक खंडों के प्रकाशन भी शामिल किए गए हैं, जिसने उस अवधि पर प्रकाश डाला है.