गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को ब्रिटेन आने का न्योता मिल चुका है, लेकिन वहां रह रहे भारतीय मुसलमानों के एक ग्रुप ने इस पर घोर नाराजगी जाहिर की है. उनका मानना है कि यह कदम ब्रिटिश नेताओं की एक और शर्मनाक गलती के रूप में इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगा.
‘काउंसिल ऑफ इंडियन मुस्लिम यूके’ (सीआईएम-यूके) ने मंत्रियों और राजनीतिक पार्टी के नेताओं को लिखे एक खुले पत्र में कहा है, ‘यह कदम भारत में चरमपंथ को बढ़ावा देगा, ब्रिटिश राजनीति में एक खतरनाक नजीर स्थापित करेगा और यह ब्रिटिश नेताओं की एक और शर्मनाक गलती के रूप में इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगी.’
सीआईएम-यूके के अध्यक्ष मुनफ जीना द्वारा लिखा गया यह पत्र ब्रिटेन के विदेश मंत्री विलियम हेग, गृह मंत्री टेरेसा मेय, कंजरवेटिव पार्टी के अध्यक्ष ग्रांट शप्स और विपक्षी लेबर पार्टी नेता एड मिलीबैंड को संबोधित है. गौरतलब है कि लेबर फ्रेंड्स ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और सांसद बेरी गार्डिनर ने हाल ही में मोदी को ‘हाउस ऑफ कामंस’ के एक कार्यक्रम में भाषण देने के लिए आमंत्रित किया था.
उनके पत्र के बाद ‘कंजरवेटिव फ्रेंड्स ऑफ इंडिया’ के सह अध्यक्ष और सांसद शैलेश वारा ने भी बीजेपी की राष्ट्रीय चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष से मिलने की इच्छा जताई थी. सीआईएम-यूके के पत्र में कहा गया है कि हम मोदी के लिए ब्रिटेन में जनसंपर्क का कार्य कर रहे बेरी गार्डिनर समर्थित बीजेपी की मजबूत लॉबी से अनजान नहीं हैं.
मि. गार्डिनर ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान मोदी का एक बयान अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित किया, जिसमें दावा किया गया है, ‘गुजरात का ब्रिटेन में बेरी गार्डिनर से बड़ा कोई मित्र नहीं है.’ पत्र में कहा गया है, ‘हम ब्रिटिश सांसदों के इस व्यवहार से कितने नाराज हैं, उसे शब्दों में व्यक्त नहीं कर पा रहे हैं और आपसे अपनी नीतियों की समीक्षा करने और इन सांसदों को हमारे समय के ‘नीरो और हिटलर’ का समर्थन करने से रोकने का अनुरोध करते हैं.’
हालांकि, गार्डिनर ने बीजेपी नेता को ब्रिटेन आने का न्योता देने के अपने फैसले पर अडिग रहते हुए मोदी को एक ऐसा नेता बताया जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. गौरतलब है कि 2002 के गुजरात दंगों के बाद अमेरिका की तरह ब्रिटिश सरकार ने भी पिछले साल के अंत तक मोदी से दूरियां बना रखी थीं.