देश में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और एनआरसी को लेकर जारी भारी विरोध-प्रदर्शन के बीच केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर भारत के ब्रू शरणार्थी समस्या का समाधान निकाल लिया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज गुरुवार को ब्रू शरणार्थी समस्या का समाधान करते हुए उनको मिजोरम से त्रिपुरा में बसाने के फैसले पर सहमति पर समझौता कराया. समझौता पत्र पर हस्ताक्षर के समय मिजोरम और त्रिपुरा दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री भी मौजूद थे.
दिल्ली में ब्रू शरणार्थियों की समस्या का समाधान पर सहमति पत्र पर हस्ताक्षर के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ब्रू शरणार्थियों को 4 लाख रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट के साथ 40 से 30 फीट का प्लॉट मिलेगा. साथ ही उन्हें 2 साल के लिए 5000 रुपये प्रति माह की नकद सहायता और मुफ्त राशन भी दिया जाएगा. इसके अलावा उन्हें त्रिपुरा के वोटर लिस्ट में शामिल किया जाएगा.
ब्रू शरणार्थियों के मामले पर समझौता
समझौता पत्र पर हस्ताक्षर के समय त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लव कुमार देब और मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथांगा भी थे. अमित शाह ने कहा कि आज 25 साल पुरानी समस्या का समाधान कर दिया गया है. ब्रू शरणार्थियों को लेकर आज मिजोरम और त्रिपुरा के साथ केंद्र सरकार का समझौता हो गया.
दोनों राज्यों के बीच ब्रू शरणार्थियों के मामले पर समझौता होने के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सभी आदिवासी भाइयों को बधाई की पिछले कई साल से चली आ रही उनकी समस्या का समाधान हुआ. मिजोरम में मिजो और ब्रू आदिवासी शरणार्थियों के बीच संघर्ष के चलते करीब 30 हजार ब्रू आदिवासी त्रिपुरा में शरणार्थी बन कर रह रहे थे.
Delhi: Union Home Minister Amit Shah and representatives of Bru refugees sign an agreement to end crisis of Bru refugees from Mizoram and for their settlement in Tripura, in presence of Tripura CM Biplab Kumar Deb and Mizoram Chief Minister Zoramthanga. pic.twitter.com/SFSa4OY99u
— ANI (@ANI) January 16, 2020
गृह मंत्री ने आगे कहा कि त्रिपुरा और मिजोरम के मुख्यमंत्रियों, त्रिपुरा के महाराजा के अलावा कई अन्य नेताओं को बधाई. 1997 में मिजोरम से करीब 30 हजार लोग त्रिपुरा के टेंपरेरी कैंप में रखे गए थे और इनको सम्मान के साथ रखने की व्यवस्था की गई थी.
अमित शाह ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों के कारण एक नए सिरे से वार्ता शुरू हुई और अंत में समाधान यही हुआ कि करीब 30 हजार ब्रू रियांग समुदाय के लोगों को त्रिपुरा में बसाया जाएगा. मकान और चार लाख रुपये के अलावा कई अन्य तरह की सुविधाएं दी जाएंगी.
भारत सरकार का कितना पैकेज
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत सरकार ने 600 करोड़ रुपये का पैकेज इन 30 हजार लोगों को दिया है. ये पूर्वोत्तर का बहुत पुराना मसला था जिसका आज हल निकाल लिया गया है. अब मिजोरम और त्रिपुरा की सरकार केंद्र सरकार की मदद से इनके कल्याण के लिए काम करेगी.
उन्होंने आगे कहा कि एनएफएफटीएसडी आतंकी संगठन के 88 लोगों का त्रिपुरा में सरेंडर और यह समझौता त्रिपुरा की दिक्कतों को सुलझाने के मामले में भारत सरकार का बेहतरीन प्रयास है.
क्या है पूरा मामला
साल 1997 में जातीय तनाव के कारण करीब 5,000 ब्रू-रियांग परिवारों ने, जिसमें करीब 30,000 व्यक्ति शामिल थे, मिजोरम से त्रिपुरा में शरण ली जिनको वहां कंचनपुर, उत्तरी त्रिपुरा में अस्थायी शिविरों में रखा गया.
2010 से भारत सरकार इस समस्या के समाधान को लेकर लगातार प्रयास करती रही है कि इन ब्रू-रियांग परिवारों को स्थायी रूप से बसाया जाए. साल 2014 तक विभिन्न बैचों में 1622 ब्रू-रियांग परिवार मिजोरम वापस गए. ब्रू-रियांग विस्थापित परिवारों की देखभाल और पुनर्स्थापन के लिए भारत सरकार त्रिपुरा और मिजोरम सरकारों की सहायता करती रही है.
3 जुलाई, 2018 को भारत सरकार, मिजोरम, त्रिपुरा सरकार और ब्रू-रियांग प्रतिनिधियों के बीच एक समझौता हुआ था जिसके बाद ब्रू-रियांग परिवारों को दी जाने वाली सहायता में काफी बढ़ोतरी की गई. समझौते के उपरांत 2018-19 में 328 परिवार, जिसमें 1369 व्यक्ति थे, त्रिपुरा से मिजोरम इस नए समझौते के तहत वापस गए. अधिकांश ब्रू-रियांग परिवारों की यह मांग थी कि उन्हें सुरक्षा की आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए त्रिपुरा में ही बसा दिया जाए.