गणतंत्र दिवस परेड की 66 साल पुरानी परंपरा को जीवंत रखते हुए सुसज्जित ऊंटों की टुकड़ी को राजपथ पर मार्च में शामिल करने का फैसला किया गया है. रंग-बिरंगे पहनावे में सजे ऊंट हर साल परेड में आकर्षण का प्रमुख केंद्र होते हैं.
परेड से एक हफ्ते से भी कम समय पहले ऊंटों की टुकड़ी ने बुधवार को पहली बार ड्रेस रिहर्सल में भाग लिया. इससे पहले 17 और 18 जनवरी को इसी तरह के अभ्यास से इस टुकड़ी को दूर रखा गया था.
रक्षा मंत्रालय ने दी सूचना
अधिकारियों ने कहा कि बीएसएफ अधिकारियों को मंगलवार शाम रक्षा मंत्रालय ने सूचित किया कि वे उनकी टुकड़ी को बुधवार सुबह राजपथ पर अभ्यास में शामिल कराने के लिए लाएं.
ड्रेस रिहर्सल में लिया भाग
अधिकारियों ने कहा, ‘ऊंटों की टुकड़ी ने पहली बार ड्रेस रिहर्सल में भाग लिया. यह टुकड़ी पिछले करीब तीन महीने से थी, लेकिन उसे 26 जनवरी की परेड के लिए अभ्यास में शामिल होने के लिहाज से पहले कोई सूचना नहीं दी गई थी.’
1976 में शुरू हुई परंपरा
90 ऊंटों की टुकड़ी को पहली बार 1976 में इस राष्ट्रीय उत्सव के समारोह का हिस्सा बनाया गया था, जिनमें 54 ऊंट सैनिकों के साथ और शेष बैंड के जवानों के साथ होते हैं. इससे पहले 1950 से लेकर 1976 तक गणतंत्र दिवस परेड में सेना की इसी तरह की टुकड़ी भाग लेती थी, जिसकी जगह बाद में बीएसएफ की ऊंटों की टुकड़ी ने ली.
BSF के पास ऊंटों का दल
बीएसएफ देश का एकमात्र बल है, जिसके पास अभियानों और समारोह दोनों के लिए सुसज्जित ऊंटों का दल है. बीएसएफ के जवान राजस्थान में भारत -पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर थार रेगिस्तान में गश्ती के लिए ऊंटों का इस्तेमाल करते हैं.
इनपुट- भाषा