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नोटबंदी के बाद BSP की आय में 266 फीसदी का इजाफा, बीजेपी-कांग्रेस ने अभी तक नहीं सौंपा ब्योरा

जैसे अंदाज लगाए जा रहे थे कि नोटबंदी के एलान के बाद राजनीतिक दलों की आय पर असर पड़ेगा, उसके उलट बीएसपी और एनसीपी की आय में इजाफा हुआ. जिन पांच राष्ट्रीय पार्टियों ने आय का ब्योरा दिया है, उनकी सबकी कुल मिलाकर वित्त वर्ष 2016-17 में 299.54 करोड़ रुपये आय हुई.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

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वर्ष 2016-17 के लिए अभी तक जिन राष्ट्रीय पार्टियों ने अपनी आय की घोषणा की है, उनमें मायावती की बहुजन समाज पार्टी (BSP) टॉप पर है. इस पार्टी ने संबंधित वर्ष में 173.58 करोड़ रुपये आय दिखाई है. बता दें कि 7 राष्ट्रीय पार्टियों में से 5 ने ही अभी चुनाव आयोग को अपनी आय का ब्योरा सौंपा है. राष्ट्रीय पार्टियों की ओर से चुनाव आयोग को सौंपी ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी और कांग्रेस को अभी अपनी-अपनी आय का ब्योरा देना बाकी है. जिन राष्ट्रीय पार्टियों ने अपनी आय का ब्योरा सौंपा है, उनमें BSP के अलावा राष्ट्रीय लोकतांत्रिक कांग्रेस (NCP), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) और तृणमूल कांग्रेस (TMC)  शामिल हैं.

जैसे अंदाज लगाए जा रहे थे कि नोटबंदी के एलान के बाद राजनीतिक दलों की आय पर असर पड़ेगा, उसके उलट बीएसपी और एनसीपी की आय में इजाफा हुआ. जिन पांच राष्ट्रीय पार्टियों ने आय का ब्योरा दिया है, उनकी सबकी कुल मिलाकर वित्त वर्ष 2016-17 में 299.54 करोड़ रुपये आय हुई.

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बीएसपी की आय में पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 2016-17 में 266.32% (126.19 करोड़ रुपये) की बढ़ोतरी हुई. जहां इस पार्टी की 2015-16 में आय 47.38 करोड़ रुपये थी, वह 2016-17 में बढ़ कर 173.58 करोड़ हो गई. जहां तक शरद पवार की अगुआई वाली एनसीपी का सवाल है तो 2016-17 में इसकी आय बीते वर्ष के मुकाबले 88.63% (8.09 करोड़ रुपये) बढ़ी. एनसीपी की आय 2015-16 में 9.13 करोड़ रुपये थी जो 2016-17 में बढ़कर 17.23 करोड़ रुपये हो गई.

लेफ्ट फ्रंट की बात की जाए तो इसकी दोनों राष्ट्रीय पार्टियों सीपीएम और सीपीआई की आय में पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले कमी आई है. सीपीएम की आय 2015-16 में 107.48 करोड़ रुपये थी जो 2016-17 में घटकर 100.25 करोड़ रुपये रह गई. इसी दौरान सीपीआई की आय 2.17 करोड़ रुपये से घटकर 2.07 करोड़ रुपये रह गई.

ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी की आय भी पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले काफी गिरी है. टीएमसी को 2015-16 में 34.57 करोड़ रुपये की आय हुई थी जो 2016-17 में घटकर 6.39 करोड़ रुपये रह गई.

बीएसपी ने 2016-17 में आय तो 173.58 करोड़ दिखाई लेकिन खर्च इसका सिर्फ 30% यानि 51.83 करोड़ ही दिखाया. उधर, टीएमसी की आय तो 2016-17 में सिर्फ 6.39 करोड़ रुपये हुई लेकिन इसने अपना खर्च 17.87 करोड़ रुपये दिखाया. ये कुल आय का 280% बैठता है. एनसीपी ने भी 2016-17 में अपनी कुल आय 17.23 करोड़ रुपये की तुलना में खर्च 7.73 करोड़ रुपये ज्यादा यानि 24.96 करोड़ रुपये दिखाया है.

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एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR)  के प्रमुख मेजर जनरल अनिल वर्मा (रिटायर्ड) ने इंडिया टुडे को बताया कि राष्ट्रीय पार्टियों के 2013-14 से 2016-17 की आय के आंकड़ों का विश्लेषण बताता है कि 2014 में आम चुनाव से पहले आम तौर पर पार्टियों की आय में इजाफा हुआ था. टीएमसी की आय 2015-16 में सबसे ज्यादा हुई, उसी साल पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव हुए थे. जानकारों के मुताबिक बीएसपी की आय में 2016-17 में जो तेज इजाफा हुआ उसकी वजह उत्तर प्रदेश में विधानसभा का चुनाव होना हो सकता है और पार्टी नोटबंदी के असर से पार पा सकी.  

मेजर जनरल वर्मा (रिटायर्ड) ने कहा कि जब पार्टियों को 20,000 रुपये से ऊपर के डोनेशन को देखें तो बड़ी दिलचस्प स्थिति सामने आती है. अगर 2014-15 और 2015-16 की तुलना की जाए तो कांग्रेस और सीपीआई की आय में ऐसे डोनेशन की तेज बढ़ोतरी हुई. वहीं बीजेपी को इस तरह का डोनेशन 21 लाख से घटकर 1.31 लाख रुपये ही रह गया. बाकी पांचों राष्ट्रीय पार्टियों ने घोषणा में कहा कि उन्हें 20,000 रुप.े से ऊपर कोई डोनेशन नहीं मिला.  

राष्ट्रीय पार्टियों के लिए वर्ष 2016-17 के लिए वार्षिक ऑडिट अकाउंट्स रिपोर्ट सौंपने की आखिरी तारीख 30 अक्टूबर 2017 थी. बीएसपी, सीपीएम और टीएमसी ने समय सीमा के अंदर ही अपनी आय का ब्योरा चुनाव आयोग को सौंप दिया. सीपीआई ने समय-सीमा निकलने के 22 दिन बाद ब्योरा दिया. एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक समय सीमा के तीन महीने बीत जाने के बाद भी बीजेपी और कांग्रेस ने वर्ष 2016-17 के लिए 7 फरवरी तक अपनी आय का ब्योरा चुनाव आयोग को नहीं सौंपा .  

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जहां तक वित्त वर्ष 2015-16 की बात है तो सभी राष्ट्रीय पार्टियों में बीजेपी ने सबसे ज्यादा 570.86 करोड़ की आय दिखाई थी. इसी वर्ष में कांग्रेस ने 261 करोड़ रुपये आय की घोषणा की थी. लेकिन 2016-17 के लिए इन दोनों ही पार्टियों की आय के ब्यौरों का चुनाव आयोग को इंतजार है.

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