नोटबंदी पर सरकार की घेराबंदी करने वाली बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सदन से बाहर विपक्ष पर हमला बोलने पर ऐतराज जताया है. उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री संसद के बाहर बोलते हैं लेकिन वो संसद के अंदर क्यों नहीं बोलते. पीएम तैयारी की बात करते हैं पर उन्होंने तो तैयारी के लिए पूरा 10 महीने का समय लिया है. क्या इस तैयारी के पीछे अपने लोगों का पैसा ठिकाने लगाने का प्लान था.
मायावती ने कहा कि प्रधानमंत्री संविधान की बात करते हैं लेकिन वो खुद संविधान पर अमल नहीं करते हैं. अगर अमल करते तो हैदराबाद में रोहित वेमुला और गुजरात में ऊना जैसी घटना नहीं होती.
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को संविधान दिवस के मौके पर नोटबंदी के मुद्दे पर विपक्ष का घेरा. उन्होंने विपक्षी पार्टियों का आड़े हाथों लेते हुए कहा कि कालाधन रखने वालों को व्यवस्थित करने का मौका नहीं मिला इसलिए वे परेशान हैं. प्रधानमंत्री ने नोटबंदी के बाद डिजिटल करंसी की ओर आगे बढऩे की अपील की. प्रधानमंत्री ने इस मौके पर संविधान के डिजिटल संस्करण का विमोचन किया.
प्रधानमंत्री ने कहा कि समाज क्रांति की दिशा में आगे बढ़ रहा है. पीएम ने कहा कि जब भी संविधान की बात होती है तो बाबा साहेब अंबेडकर का नाम जरूर याद आता है. दोनों को अलग नहीं किया जा सकता. पीएम मोदी ने कहा, इस मौके पर हम बाबा साहेब को याद करते हैं. संविधान का हमारे दिल में विशेष स्थान है. मोदी ने कालेधन का मुद्दा उठाते हुए कहा कि जो लोग नोटबंदी का विरोध कर रहे हैं उनके पास काला धन है और इसीलिए वे परेशान हैं. जिनका पैसा खुद का है वे खुश हैं. प्रधानमंत्री ने कहा, नोट लेकर घूमने के बजाय डिजिटल करंसी और डिजिटल ट्रांजेक्शन को अपनाएं तो बेहतर होगा. आज हर बैंक के पास उसका मोबाइल एप है. हर बैंक इंटरनेट बैंकिंग की सुविधा देता है. ऐसे में यह जरूरी है कि युवा इसकी ओर रुख करें. उन्होंने कहा कि जिनके पास काला धन था उनको तैयारी का मौका नहीं मिला. यही वजह है कि वे सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं. अगर उन्हें मौका मिल गया होता तो वे सरकार की तारीफ करते.