केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को करीब 125 मिनट भाषण दिया. उन्होंने सभी क्षेत्रों के लिए कुछ न कुछ कहा लेकिन उनके भाषण में हेल्थ, स्मार्ट सिटी और रोजगार जैसे शब्द गायब थे. वित्त मंत्री निर्मला ने पूरे बजट भाषण में सबसे ज्यादा 53 बार टैक्स शब्द का उपयोग किया. दूसरे नंबर पर उन्होंने 35 बार बैंक, तीसरे नंबर पर 31 बार इन्वेस्टमेंट शब्द, चौथे नंबर पर 25 बार योजना और पांचवें नंबर पर 22-22 बार इंफ्रास्ट्रक्चर और वाटर शब्द का उपयोग किया.
हैरानी की बात यह है कि आयुष्मान भारत का नाम तो लिया, लेकिन उन्होंने हेल्थ शब्द का उपयोग ही नहीं किया. लोगों के घरों के लिए तो बात की लेकिन स्मार्ट सिटी शब्द पूरे भाषण में कहीं नहीं दिखा.
नदारद रहा रोजगार का मुद्दा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई मुहावरे और शेर कहे, लेकिन काम के शब्दों को बोला ही नहीं. सबसे कम जो शब्द बोले गए उनमें शामिल हैं- सिक्योरिटी (1 बार), कैपिटल (1 बार), एग्रीकल्चर (2 बार), जीडीपी (2 बार), क्रेडिट (4 बार), प्रोजेक्ट्स (4 बार) और इंडस्ट्री (6 बार).
हालांकि इस पूरे बजट भाषण में रोजगार का मुद्दा नदारद रहा. रोजगार को लेकर सरकार की क्या रणनीतियां रहेंगी? सरकार के जरिए रोजगार मुहैया करवाने के लिए किस तरह की कोशिश की जाएगी? इन सवालों के जवाब इस बजट में नहीं मिले. देश में बेरोजगार लोगों का आंकड़ा काफी ज्यादा है, ऐसे में रोजगार के मुद्दे पर बजट भाषण में किसी तरह की कोई बात नहीं की गई. कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी नौकरी सृजन को लेकर सवाल उठाया.
Aren't we missing something here?
No reference to the highly anticipated plan for job creation, no measures to help farmers combat price collapse & droughts
I can see intent, but where is the content? This budget session was reduced to only a table thumping gathering. #Budget2019
— Jyotiraditya Scindia (@JM_Scindia) July 5, 2019
बीते कुछ महीनों से भारत में बेरोजगारी के आंकड़ों को लेकर बहस छिड़ी हुई है. हाल ही में केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने बेरोजगारी के आंकड़े जारी किए हैं. इन आंकड़ों में बताया गया कि देश में बेरोजगारी दर 45 साल के अपने उच्चतम स्तर पर है. सीएसओ की रिपोर्ट को सरकार ने भी स्वीकार किया था, लेकिन बाद में संसद में श्रम मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संतोष गंगवार ने इन आंकड़ों को भ्रामक बताया. हालांकि, गंगवार ने कहा कि रोजगार सृजन सरकार की प्राथमिकता है.