पिछले कुछ वर्षों में भारत एक प्रमुख अंतरिक्ष शक्ति के रूप में उभरा है. अब समय आ गया है कि हम हमारी इस क्षमता का व्यावसायिक रूप से दोहन करें. व्यावसायिक रूप से भारत की अंतरिक्ष क्षमता का दोहन करने के लिए एक सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) का गठन किया जाएगा. इससे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को तो मदद मिलेगी ही, देश को भी लाभ होगा. NSIL इसरो के साथ मिलकर काम करेगा.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि प्रौद्योगिकी और उपग्रह प्रक्षेपित करने की क्षमता एवं वैश्विक कम लागत पर अंतरिक्ष उत्पादों के साथ भारत प्रमुख अंतरिक्ष शक्ति के रूप में उभरा है. अब समय आ गया है कि इस क्षमता का वाणिज्यिक उपयोग हो. एक सरकारी क्षेत्र उद्यम अर्थात न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड को इसरो द्वारा किए गए अनुसंधान और विकास के लाभों को काम में लाने के लिए अंतरिक्ष विभाग की नई वाणिज्यिक शाखा के रूप में शामिल किया गया है. यह कंपनी विभिन्न अंतरिक्ष उत्पादों के वाणिज्यीकरण का नेतृत्व करेगी. इसमें लांच व्हीकल का उत्पादन, प्रौद्योगिकियों का अंतरण और अंतरिक्ष उत्पादों का विपणन शामिल है.एनएसआईएल के अलावा इसरो के व्यावसायिक शाखा ANTRIX भी अब तक काम करता आ रहा है. अपने बजट भाषण में भी वित्त मंत्री ने आने वाले दशक का लक्ष्य देश के सामने रखा. उन्होंने कहा कि अगले कुछ वर्षों में हमारी अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी. इस दौरान उन्होंने प्रदूषण मुक्त भारत, चिकित्सा उपकरणों पर जोर, जल प्रबंधन, अंतरिक्ष कार्यक्रम, चंद्रयान, गगनयान जैसे प्रमुख योजनाओं को बताया.
गौरतलब है कि 15 जुलाई को चंद्रयान-2 लॅान्च किया जाएगा. यह भारत का पहला मून लैंडर और रोवर मिशन है. चंद्रमा की सतह पर उतरने वाले लैंडर मॉड्यूल का नाम जाने-माने अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के नाम पर विक्रम रखा गया है जबकि रोवर मॉड्यूल का नाम प्रज्ञान रखा गया है. इसके अलावा इसरो के मानव मिशन गगनयान पर भी तेजी से काम चल रहा है.