scorecardresearch
 

गुलाम नबी आजाद ने की बजट सत्र सीमा एक महीना बढ़ाने की मांग, ये है वजह

आजाद ने कहा कि सरकार देशहित में जितने भी बिल लेकर आयी है हमने उसका समर्थन किया है. जीडीपी, महंगाई, बेरोजगारी, गिरती अर्थव्यवस्था पर सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है. कश्मीर में सरकार ने जो कुछ किया है वो एक अनाड़ी डॉक्टर की तरह है.

Advertisement
X
गुलाम नबी आजाद (पीटीआई)
गुलाम नबी आजाद (पीटीआई)

Advertisement

  • 31 जनवरी से संसद का बजट सत्र शुरू हो रहा है
  • सत्र 3 अप्रैल को संपन्न होगा, बीच में अवकाश रहेगा

बजट सत्र से पहले संसद भवन के लाइब्रेरी में केंद्र सरकार की तरफ से एक सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी. बैठक के बाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हमने बजट सत्र का समय बढ़ाने की मांग की है. पिछले कुछ समय से इसकी समय सीमा कम होती जा रही है. शुरुआत में यह सत्र तीन महीने का होता था लेकिन बाद में इसे कम कर दिया गया. हमने इसे एक महीना बढ़ाने की मांग की है.

बैठक में संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी के अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, थावर चंद गहलोत, अर्जुन मेघवाल, वी मुरलीधरन, सपा से रामगोपाल यादव, बीजेडी से प्रसन्ना आचार्य, एनसीपी से सुप्रिया सुले, कांग्रेस से अधीर रंजन चौधरी और गुलाम नबी आजाद, जेडीयू से मनोज झा, एलजेपी से रामविलास पासवान और चिराग पासवान, टीएमसी से डेरेक ओ ब्रायन और बीएसपी से रितेश पाठक भी मौजूद थे.

Advertisement

कब से शुरू होगा बजट सत्र

बता दें कि 31 जनवरी से संसद का बजट सत्र शुरू हो रहा है, जो 3 अप्रैल को संपन्न होगा. आधिकारिक बयान के अनुसार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 31 जनवरी 2020 को सुबह 11 बजे संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे. यह सत्र 3 अप्रैल को संपन्न होगा लेकिन बीच में कुछ दिनों का अवकाश होगा. पहले सत्र में यह 31 जनवरी से 11 फरवरी तक चलेगा. उसके बाद दूसरे चरण में दो मार्च से तीन अप्रैल तक सदन की कार्यवाही चलेगी.

जाहिर है 1 फरवरी 2020 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी.

दो चरणों में क्यों चलता है सत्र?

दरअसल बजट एक संजीदा मसला होता है उसे समझने के लिए समय लगता है. इसलिए बजट पेश करने के बाद सभी सांसदों के पास लिखित दस्तावेज होता है जिससे कि वो उसे पढ़कर समझ सकें और उसमें महत्वपूर्ण सुझाव दे सकें.

क्या बोले गुलाम नबी आजाद?

आजाद ने कहा कि सरकार देशहित में जितने भी बिल लेकर आई है हमने उसका समर्थन किया है. जीडीपी, महंगाई, बेरोजगारी, गिरती अर्थव्यवस्था पर सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है. कश्मीर में सरकार ने जो कुछ किया है वो एक अनाड़ी डॉक्टर की तरह है. उन्होंने ऑपरेशन तो कर दिया लेकिन उन्हें सिलना नहीं आ रहा. कश्मीर में अब भी नेताओं को बंद रखा गया है. सभी नेताओं को रिहा करना चाहिए.

Advertisement

पिछले डेढ़ महीने से देश के लोग सड़कों पर हैं. सरकार को इनकी कोई चिंता नहीं है. सीएए को लेकर देश की जनता सरकार का विरोध कर रही है लेकिन उनकी तरफ से उन्हें समझाने की कोई कोशिश नहीं की गई. न ही कानून पर फिर से कोई विचार किया गया. सरकार अहंकारी हो गई है उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता, जनता जिए या मरे... 

Advertisement
Advertisement