भारत में जल्द ही बुलेट ट्रेनें चल सकती हैं. इसके लिए भारत जापान की शानदार बुलेट ट्रेन प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की तैयारी में है. जापान सरकार ने भारत में अत्यधिक तीव्र गति रेलगाड़ियों के परिचालन का बुनियादी ढांचा विकासित करने में बड़े निवेश का वादा किया.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबे द्वारा जारी एक संयुक्त बयान के मुताबिक, भारत में बुलेट ट्रेन प्रणाली की स्थापना के संबंध में दोनों देशों के बीच सहयोग की रुपरेखा तय हुई है.
दोनों पक्षों ने भारत को जापनी मुद्रा येन में कुल 424 अरब डालर के ऋण के लिए एक एक्सचेंज आफ नोट्स (समझौते) पर हस्ताक्षर किए. इसमें मुंबई मेट्रो लाइन-तृतीय परियोजना के लिए 71 अरब डालर के बराबर कर्ज सहायता तथा आठ परियोजनाओं के लिए 2012 को 353.106 अरब डालर के बराबर के ऋण शामिल हैं.
प्रधानमंत्री सिंह ने भारत में अत्यधिक तीव्र गति वाली रेल प्रणालियों को पेश करने में मदद करने की जापान की इच्छा और उसकी शिंकानसेन (बुलेट ट्रेन) प्रौद्योगिकी और इसके क्रियान्वयन में उसकी दक्षता की सराहना की.
सिंह ने एबे को बताया कि भारत ने अपनी ढांचागत प्राथमिकताओं, वाणिज्यिक व्यवहार्यता एवं वित्तीय संसाधन के आधार पर इस तरह की परियोजनाएं चलाने की योजना बनाई है. द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया, ‘दोनों प्रधानमंत्रियों ने निर्णय किया है कि दोनों पक्ष मुंबई-अहमदाबाद मार्ग पर हाई-स्पीड रेल प्रणाली के एक संयुक्त संभाव्य अध्ययन का मिलकर वित्त पोषण करेंगे.’
मुंबई-अहमदाबाद रेल लाइन 500 किलोमीटर की होगी जिस पर अनुमानित 1,000 अरब येन की लागत आएगी.
दोनों प्रधानमंत्रियों ने मौजूदा दिल्ली-मुंबई मार्ग पर यात्री ट्रेनों की गति को बढ़ा कर अर्थ उच्च गति (160 से 200 किलोमीटर प्रति घंटा) तक ले जाने की आवश्यकता को पहचानते हुए संभाव्य अध्ययन की अंतिम रिपोर्ट का स्वागत किया. यह अध्ययन जापान के सहयोग से किया गया है.
बयान में कहा गया कि रूपरेखा तैयार करने के लिए दोनों देशों के बीच आगे भी परामर्श की प्रक्रिया जारी रहेगी.