अमेरिका में फ्लोरिडा के एक पादरी द्वारा 11 सितंबर को कुरान की प्रति जलाए जाने के प्रस्ताव को लेकर ओबामा प्रशासन ने कहा है कि यह कृत्य ‘गैर अमेरिकी’ है और इस तरह के कार्यों से अफगानिस्तान और विश्व के अन्य भागों में अमेरिकी हितों को खतरा पहुंच सकता है.
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता पीजे क्राउले ने ऐसी आशा व्यक्त की कि पादरी अपने इस घोषित कार्य को अंजाम नहीं देंगे और कहा कि अमेरिका इस बात से पूरी तरह अवगत है कि इस घटना के बाद विदेशों में रह रहे अमेरिकी नागरिकों, कूटनीतिज्ञों और सैन्य बलों पर क्या प्रभाव पड़ेगा.
क्राउले ने कहा कि हमारा ऐसा मानना है कि यह उकसावे वाली कार्रवाई है, ऐसा करने वाले अशिष्ट, असहनशील और विघटनकारी हैं और हम इस बात को जानते हैं कि इसके खिलाफ कई आवाजें उठी हैं जिन्होंने पादरी और उसके समुदाय के इस प्रस्तावित कार्य को नकार दिया है. हम यह देखना चाहेंगे कि ज्यादा से ज्यादा अमेरिकी इस घटना के विरोध में खड़े हों और कहें कि यह हमारे मूल्यों के खिलाफ है. वैसे भी यह कार्य ‘गैर अमेरिकी’ है.
पादरी के इस कृत्य के बारे में क्राउले ने कहा, ‘पादरी का मानना है कि वह इस घटना को चरमपंथ से लड़ने के लिए अंजाम दे रहे हैं लेकिन इस तरह की घटना अगर होती है तो चरमपंथ को बढ़ावा ही मिलेगा.