scorecardresearch
 

नीतीश की हार से नरेंद्र मोदी हुए और मजबूत, 2014 में सेनापति बनाने की तैयारी

इसे इत्तेफाक कहिए या मुख्यमंत्री नीतीश की किस्मत का फेर, जिस उपचुनाव ने शानदार जीत के साथ मोदी की पीएम की दावेदारी और मजबूत कर दी, उसी में मोदी के धुर विरोधी नीतीश को हार का मुंह देखना पड़ा.

Advertisement
X

इसे इत्तेफाक कहिए या मुख्यमंत्री नीतीश की किस्मत का फेर, जिस उपचुनाव ने शानदार जीत के साथ मोदी की पीएम की दावेदारी और मजबूत कर दी, उसी में मोदी के धुर विरोधी नीतीश को हार का मुंह देखना पड़ा. अहम चुनाव में हार ने बीजेपी और जेडीयू की कटुता और बढ़ा दी है. जेडीयू उम्मीदवार पीके साही का इल्जाम है कि उन्हें सहयोगी बीजेपी से सहयोग नहीं मिला.

Advertisement

बीजेपी में मोदी की महिमा बढ़ने से जेडीयू और बीजेपी के रिश्ते ऐसे ही घड़ियां गिन रहे हैं. ऐसे में महाराजगंज उपचुनाव में हार ने रिश्तों का अंतिम संस्कार तय कर दिया है. बस इंतजार कीजीए, कि हित- अहित, सुविधा-असुविधा देखकर कब इसका ऐलान होता है.

बीजेपी में मोदी को कमान देने की तैयारी
उधर बीजेपी ने करीब-करीब तय कर लिया है कि 2014 के चुनाव में मोदी पार्टी की प्रचार कमेटी के मुखिया होंगे. यानी उनकी अगुवाई में चलेगा कैंपेन. इस फैसले के साथ साफ हो गया है कि बीजेपी में मोदी की भूमिका बढ़ने वाली है. मोदी के बढ़ते कद पर आडवाणी को एतराज था, नीतीश भी तैयार नहीं थे. लेकिन दोनों को इस मामले में मुंह की खानी पड़ी. सवाल ये है कि अगर मोदी मुखिया बने तो गठबंधन का क्या होगा.

Advertisement

चुनाव अगर लोकप्रियता का पैमाना है तो नीतीश इस पैमाने पर पूरी ताक़त लगाकर भी फेल हो गए हैं और नरेंद्र मोदी ने ऐसा छक्का मारा है कि आडवाणी बैठे ही बैठे आउट हो गए.

गुजरात में दो लोकसभा की सीटों पर उप चुनाव था और चार विधानसभा सीटों पर. छह की छहों पर कांग्रेस काबिज़ थी. लेकिन नरेंद्र मोदी ने एक झटके में सबकी गिल्ली उड़ा दी.

नीतीश हार गए दो लड़ाईयां
उधर महाराजगंज की लोकसभा सीट पर हुए उप चुनाव में लालू ने नीतीश के उम्मीदवार को समेट दिया. ये लड़ाई लालू बनाम मोदी थी. नीतीश ने लड़ाई तो एक ही लड़ी थी लेकिन हार गए दो. ऐसा होता बहुत कम है लेकन तकदीर में कील ठुकी हो तो होता भी है. नीतीश दो लड़ाई हारे तो मोदी दोनों जीत गए. अब इस जीत का इनाम देने की तैयारी हो रही है बीजेपी में. राजनाथ सिंह ने इसके लिए पूरी ताकत झोंक दी है.

आडवाणी तैयार तो हुए लेकिन रख दी शर्त
सूत्रों के मुताबिक राजनाथ सिंह ने मोदी को चुनाव समिति का अध्यक्ष बनाने के लिए आडवाणी से लंबी मुलाकात की है. आडवाणी इसके लिए अब तैयार भी हैं लेकिन उनकी एक शर्त ने पार्टी अध्यक्ष को पस्त कर दिया. वो शर्त ये है कि पार्टी नरेंद्र मोदी और नितिन गडकरी दोनों को चुनावी तैयारी के लिए आगे बढ़ाए. अगर मोदी को चुनाव समिति का अध्यक्ष बनाना है तो गडकरी को इस साल पांच राज्यों में होने वाले चुनावों की ज़िम्मेदारी दी जाए. हालांकि फिलहाल राजनाथ सिंह चुप हैं लेकिन ये आडवाणी भी जानते हैं कि मोदी के बढ़ते कद के सामने उनकी शर्तें बीजेपी की अंतिम मजबूरी नहीं हैं.

Advertisement

एनडीए में सुशासन के दो चेहरों के बीच टक्कर थी. उप चुनाव के नतीजों ने फिलहाल एक चेहरे से चमत्कार की उम्मीद को चमका दिया है. लेकिन मुश्किल ये है कि इस दोहरी जीत पर मोदी को दिल्ली के दावे की दरकार है और इस रास्ते में बिहार में साथियों की सरकार है.

Advertisement
Advertisement