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4 दल-4 कारणः सोनिया की अगुवाई वाली बैठक से क्यों दूर हैं TMC-BSP-AAP-SS

कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष के तमाम दल शामिल हो रहे हैं, लेकिन बसपा, टीएमसी, शिवसेना और AAP ने विपक्षी दलों की इस बैठक से दूरी बना ली है. इन चारों दलों के अपने-अपने सियासी कारण हैं, जिसके चलते कांग्रेस के नेतृत्व में होने वाली विपक्षी दलों की बैठक में शामिल होने से कदम पीछे खींच लिए हैं.

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सोनिया गांधी, मायावती, ममता बनर्जी
सोनिया गांधी, मायावती, ममता बनर्जी

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  • दिल्ली में सीएए को लेकर विपक्षी दलों की आज बैठक
  • मायावती, ममता , केजरीवाल, उद्धव नहीं होंगे शामिल

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) के खिलाफ देशभर में चल रहे प्रदर्शनों के बीच कांग्रेस ने साझा रणनीति बनाने के लिए विपक्षी दलों की सोमवार को बैठक बुलाई है. कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष के तमाम दल शामिल हो रहे हैं, लेकिन चार दल ऐसे भी हैं जिन्होंने विपक्षी दलों की इस बैठक से अपनी दूरी बना ली है.

सीएए के खिलाफ एक साझा रणनीति बनाने के लिए और छात्रों के खिलाफ पुलिस की कथित बर्बरता के विरोध में कांग्रेस के नेतृत्व में होने वाली बैठक में बसपा प्रमुख मायावती से लेकर बंगाल की सत्ता पर काबिज ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल की नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी शामिल नहीं हो रही हैं.

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वहीं, महाराष्ट्र में कांग्रेस के सहयोग से सत्ता पर काबिज शिवसेना ने भी इस बैठक से अपने आपको दूर रखने का फैसला किया है. इन चारों दलों के अपने-अपने सियासी कारण हैं, जिसके चलते इन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व में होने वाली विपक्षी दलों की बैठक में शामिल होने से पीछे खींच लिए हैं.

मायावती का राजस्थान है बहाना, लेकिन प्रियंका है असल निशाना!

बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने विपक्ष की एकजुटता को झटका दिया है. मायावती ने बैठक में शामिल न होने की वजह राजस्थान में बीएसपी विधायकों को कांग्रेस में शामिल करना बताया है. मायावती ने कहा, 'राजस्थान की कांग्रेसी सरकार को बीएसपी की ओर से बाहर से समर्थन दिए जाने पर भी, इन्होंने दूसरी बार वहां बीएसपी के विधायकों को तोड़कर अपनी पार्टी में शामिल करा लिया है जो यह पूर्णतयाः विश्वासघात है. कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष की बुलाई गई बैठक में बीएसपी शामिल नहीं होगी.

मायावती भले ही बैठक में शामिल न होने की वजह राजस्थान बता रही हों, लेकिन इसके पीछे कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का यूपी में सक्रिय होना एक बड़ी वजह मानी जा रही है. प्रियंका गांधी ने सोनभद्र में हुए आदिवासियों के नरसंहार से लेकर सीएए के खिलाफ प्रदर्शन में पुलिसिया कार्रवाई के मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया है और पीड़ित परिवार से मुलाकात की है.

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प्रियंका की लगातार यूपी में बढ़ती सक्रियता से मायावती की चिंताए साफ झलकती हैं. यही वजह है कि मायावती लगातार प्रियंका पर निशाना भी साध रही हैं, ऐसे में वो कैसे कांग्रेस के नेतृत्व वाली बैठक में शामिल हो सकती हैं. इससे पहले भी सीएए के विरोध में कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों का एक प्रतिनिधि मंडल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिला था तो बसपा उसमें शामिल नहीं थी. बसपा सांसदों ने बाद में अलग से राष्ट्रपति से मुलाकात की थी.

दिल्ली चुनाव के चलते AAP ने बनाई दूरी

दिल्ली की आम आदमी पार्टी ने भी कांग्रेस के नेतृत्व वाली विपक्ष दलों की इस बैठक से खुद को अलग कर लिया है. दिल्ली विधानसभा चुनाव के चलते केजरीवाल कांग्रेस के साथ सीएए और एनआरसी पर खड़े होकर किसी तरह का कोई सियासी संदेश नहीं देना चाहते हैं. बीजेपी सीएए और राष्ट्रवाद के मुद्दे को दिल्ली में लगातार उठा रही है तो केजरीवाल सीएए-एनआरसी और यूनिवर्सिटी में चल रही हिंसा की घटनाओं से दूरी बनाए है. वो किसी भी तरह से बीजेपी के ट्रैप में फंसना नहीं चाहते हैं. देश के मौजूदा राजनीतिक हालात पर विपक्ष की बैठक का हिस्सा न बनकर आम आदमी पार्टी ने अपने स्टैंड को जाहिर कर दिया है.

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ममता बनर्जी को कांग्रेस का नेतृत्व कुबूल नहीं

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी भी सीएए के खिलाफ पुरजोर तरीके से आवाज उठा रही हैं, लेकिन कांग्रेस के नेतृत्व वाली विपक्षी दलों की बैठक से खुद को अलग कर लिया है. ममता बनर्जी ने नागरिकता कानून को न सिर्फ बंगाल में लागू करने से मना किया है, बल्कि वो खुद सड़कों पर उतरकर इसका विरोध कर रही हैं. इसके बावजूद विपक्षी दलों की बैठक से दूर हैं.

दरअसल, ममता बनर्जी ने इससे पहले भी कांग्रेस के नेतृत्व में होने वाली बैठक से अपने आपको दूर रखा और लोकसभा चुनाव के दौरान विपक्षी दल की गठबंधन से भी अलग खड़ी नजर आई थीं. ऐसे में ममता विपक्षी दलों की बैठक में शामिल होकर यह राजनीतिक संदेश नहीं देना चाहती हैं कि उन्होंने कांग्रेस की अगुवाई  को कुबूल कर लिया है. हालांकि ममता कांग्रेस पार्टी के बजाय खुद नेतृत्व करना चाहती हैं.

दिल्ली में कांग्रेस की पिछलग्गू नहीं दिखना चाहती शिवसेना

सीएए और एनआरसी पर सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली बैठक से महाराष्ट्र में कांग्रेस की सहयोगी शिवसेना ने भी दूरी बना ली है. शिवसेना ने विपक्ष दलों की इस बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया है. शिवसेना ने इस कानून के पक्ष में लोकसभा में वोट किया था जबकि राज्यसभा में यू-टर्न लेते हुए वॉकआउट कर गई थी.

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बीजेपी लगातार शिवसेना का नाम लिए बगैर हमला कर रही है और आरोप लगा रही है कि महाराष्ट्र की सरकार दिल्ली से चल रही है. ऐसे में शिवेसना विपक्षी दलों की इस बैठक में शामिल होकर ये राजनीतिक संदेश नहीं देना चाहती है कि वह कांग्रेस की पिछलग्गू है. इसके अलावा शिवसेना अपने हिंदुत्व की राजनीति को भी बचाकर रखना चाहती है. यही वजह है कि उसने दिल्ली में होने वाली बैठक से अपने कदम पीछे खींच लिए हैं.

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