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NRC पर समयसीमा तय नहीं, लोगों से बातकर लाया जाएगा: रविशंकर प्रसाद

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि एनपीआर का नोटिफिकेशन 15 मार्च, 2010 को पी चिदंबरम लेकर आए थे. तब उन्होंने कहा था कि एनपीआर पहला कदम है एनआरसी का. एनपीआर का डेटा एनआरसी के प्रयोग में ला सकते हैं.

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रविशंकर प्रसाद (फाइल फोटो)
रविशंकर प्रसाद (फाइल फोटो)

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  • CAA का विरोध कर रहे लोगों से रविशंकर प्रसाद ने पूछे सवाल
  • कानून मंत्री बोले- CAA से किसी की नागरिकता नहीं जाएगी

नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का विरोध कर रहे लोगों से कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कुछ सवाल किए हैं. उन्होंने कहा कि CAA का विरोध करने वालों से पूछना चाहता हूं कि दुनिया के किसी भी लोकतांत्रिक देश में नागरिकता या पासपोर्ट के बिना एंट्री कर सकते हैं क्या.

उन्होंने ये भी साफ किया कि CAA से किसी की भी नागरिकता नहीं जाएगी. रविशंकर प्रसाद ने कहा कि विरोध करने वालों से मैं कहना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री से लेकर गृह मंत्री और खुद मैं कई बार बता चुका हूं कि इससे किसी की नागरिकता नहीं जाएगी. साथ ही उन्होंने कहा कि NRC जब भी लाया जाएगा लोगों से बातकर लाया जाएगा.

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नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर पर उन्होंने कहा कि यह एक रूटीन प्रोसेस है. इससे पता चलता है कि आप के घर पर वो क्या सामान हैं जो भविष्य में सरकारी योजनाओं में एक डेटा के रूप में काम आ सकते हैं. कानून मंत्री ने कहा कि एनपीआर का नोटिफिकेशन 15 मार्च, 2010 को पी चिदंबरम लेकर आए थे. तब उन्होंने कहा था कि एनपीआर पहला कदम है एनआरसी का. एनपीआर का डेटा एनआरसी के प्रयोग में ला सकते हैं.

एनआरसी पर चर्चा नहीं

वहीं एनआरसी पर उन्होंने कहा कि यह कब लाया जाएगा इसके लेकर चर्चा नहीं हुई है. जब भी लाया जाएगा तो सबसे सलाह लेकर लाया जाएगा. सभी राज्यों की सरकारों और पार्टियों से बात करके लाया जाएगा, लेकिन एनआरसी कब लाया जाएगा इसकी कोई समय सीमा तय नहीं हुई है.

उन्होंने कहा कि देश के मुसलमानों को CAA और एनपीआर से डरने की जरूरत नहीं है. इंदिरा गांधी ने जब युगांडा से आए लोगों को नागरिकता दी थी तब किसी ने विरोध क्यों नहीं किया था.

राज्य सरकारें अपने कानूनी सलाहकार से सलाह लें

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि जो राज्य CAA का विरोध कर रहे हैं और विधानसभा में प्रस्ताव पास कर रहे हैं, उनसे मैं कहना चाहता हूं कि वे एक बार अपने कानूनी सलाहकार से सलाह लें. उन्होंने कहा कि आर्टिकल 256 में साफ लिखा है कि संसद के दोनों सदनों से पास हुए कानून को सभी राज्यों को लागू करना होता है. कानून मंत्री ने कहा कि विरोध करना ठीक है, लेकिन हिंसा सही नहीं है.

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