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कोलकाता में CAA का विरोध कर रही महिला की हार्ट अटैक से मौत

पिछले 26 दिनों से संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में 60 मुस्लिम महिलाएं अनिश्चित काल के लिए धरने पर बैठी हैं. इस मैदान को ‘कोलकाता का शाहीन बाग’ कहा जा रहा है. विरोध प्रदर्शन में गृहणियों से लेकर पेशेवर महिलाएं तक शामिल हैं.

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सीएए के खिलाफ प्रदर्शन
सीएए के खिलाफ प्रदर्शन

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  • 60 मुस्लिम महिलाएं पार्क सर्कस मैदान में कर रही हैं प्रदर्शन
  • इस मैदान को ‘कोलकाता का शाहीन बाग’ कहा जा रहा है

नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में दिल्ली के शाहीन बाग के तर्ज पर कोलकाता में 60 मुस्लिम महिलाएं पार्क सर्कस मैदान में धरने पर बैठी हैं. रविवार को धरने पर बैठी एक महिला की मौत हार्ट अटैक की वजह से हो गई. हालांकि महिलाओं का विरोध प्रदर्शन अब भी जारी है.  

बता दें पिछले 26 दिनों से संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में 60 मुस्लिम महिलाएं अनिश्चित काल के लिए धरने पर बैठी हैं. इस मैदान को ‘कोलकाता का शाहीन बाग’ कहा जा रहा है. विरोध प्रदर्शन में गृहणियों से लेकर पेशेवर महिलाएं तक शामिल हैं. फिलहाल जिस तरीके से एक महिला की मौत के बाद भी विरोध जारी है उससे तो यही लगता है कि उनके वहां से हटने की कोई योजना नहीं है.

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'धरना करने वाली महिलाएं घुसपैठिए नहीं'

धरने पर बैठी महिलाओं में से एक गृहिणी का मानना है कि इस प्रदर्शन की सबसे बड़ी ताकत यह है कि प्रदर्शनकारी किसी राजनीतिक समूह से जुड़े नहीं हैं. उसने कहा, 'हमारी एकमात्र पहचान यह है कि हम भारतीय हैं, और हम महिलाएं हैं, जो किसी ताकत से नहीं डरती.'

महिला ने बीजेपी के घुसपैठिए वाले आरोप पर कहा कि हम कई पीढ़ियों से पश्चिम बंगाल में रह रहे हैं. सदियों से हिंदुओं के साथ दुर्गा पूजा समारोहों में भाग ले रहे हैं. आज अचानक, हमें खुद को भारतीय नागरिक साबित करने को कहा जा रहा है.

ये नेता कर चुके हैं दौरा

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम, माकपा नेता मोहम्मद सलीम के अलावा कई गायक, रंगमंच कलाकार और सामाजिक कार्यकर्ता हाल के दिनों में इस स्थल का दौरा कर चुके हैं.

और पढ़ें- फायरिंग से फिर दहला शाहीन बाग, युवक ने दागीं ताबड़तोड़ दो गोलियां

जाहिर है दिल्ली के शाहीन बाग़ में लगभग 50 दिनों से महिलाओं का समूह विरोध प्रदर्शन कर रहा है. हालांकि बीजेपी के कई नेता उन्हें घुसपैठिए और देशद्रोही करार दे रहे हैं. जबकि रविशंकर प्रसाद समेत कई मंत्रियों ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि संशोधित नागरिकता कानून किसी की नागरिकता छीनने के लिए नहीं हैं.

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