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बैन होगा PFI? UP सरकार के लेटर पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शुरू की समीक्षा

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को बैन करने का उत्तर प्रदेश सरकार का लेटर केंद्रीय गृह मंत्रालय को मिल गया है. उत्तर प्रदेश के गृह विभाग ने पीएफआई को बैन करने का प्रस्ताव केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा था. अब गृह मंत्रालय पिछले कुछ महीनों में पीएफआई से जुड़ी गतिविधियों की समीक्षा करेगा.

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पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (Courtesy- Facebook)
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (Courtesy- Facebook)

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  • CAA के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा में शामिल रहे पीएफआई से जुड़े लोग
  • यूपी सरकार ने पीएफआई पर बैन लगाने के लिए केंद्र सरकार को भेजा प्रस्ताव
  • उत्तर प्रदेश पुलिस ने PFI के सदस्यों के सिमी से संबंध होने की रिपोर्ट सौंपी

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को बैन करने का उत्तर प्रदेश सरकार का लेटर केंद्रीय गृह मंत्रालय को मिल गया है. उत्तर प्रदेश के गृह विभाग ने पीएफआई को बैन करने का प्रस्ताव केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा था. इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय खुफिया एजेंसियों और एनआईए से इनपुट ले सकता है. इसके साथ ही गृह मंत्रालय पिछले कुछ महीनों में पीएफआई से जुड़ी गतिविधियों की समीक्षा करेगा.

इसके अलावा केंद्रीय गृह मंत्रालय कानून सलाह भी ले सकता है. हाल के दिनों में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन के दौरान पकड़े गए पीएफआई के सदस्य और उनके आतंकी संगठन सिमी के साथ संबंध होने की  जानकारी उत्तर प्रदेश पुलिस ने गृह मंत्रालय को दी है.

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सूत्रों के मुताबिक नागरिकता संशोधन कानून को लेकर उत्तर प्रदेश में हुई हिंसा के आरोप में पीएफआई से जुड़े लोगों को गिरफ्तार किया गया था. इस हिंसा के आरोपियों के यहां से आपत्तिजनक सामग्रियां,साहित्य और सीडी मिले थे, जिसको आधार बनाकर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को बैन करने का प्रस्ताव उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा है.

सूत्रों के मुताबिक नागरिक संशोधन कानून पर हुए प्रदर्शन के पीछे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की भूमिका की जांच का दायरा और ज्यादा बढ़ सकता है. सात राज्यों में पीएफआई पिछले कई महीनों से सक्रिय है. सूत्र बताते हैं कि दिल्ली,आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, केरल, झारखंड,पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में पीएफआई काफी सक्रिय है.

देश की जांच एजेंसियों को शक है कि देशभर में सीएए और एनआरसी के नाम पर हुए हिंसक प्रदर्शन में पीएफआई से जुड़े लोग शामिल थे. मल्टी एजेंसी सेंटर ( MAC) की रिपॉर्ट के मुताबिक पीएफआई से जुड़े लोगों ने उत्तर प्रदेश के कई जिलों में मीटिंग की थी. सूत्रों के मुताबिक नागरिक संशोधन कानून बनने से से पहले पीएफआई से जुड़े लोगों ने असम और पश्चिम बंगाल में इस कानून के विरोध में आम लोगों के बीच पर्चे बांटे थे.

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