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CAB पर असम में हिंसक प्रदर्शन, 10 जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद

नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ पूर्वोत्तर के राज्यों में हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. त्रिपुरा में इंटरनेट सेवाएं बंद होने के बाद अब असम के 10 जिलों में इंटरनेट सेवाएं रोक दी गई हैं. इसके अलावा गुवाहाटी और कामरूप जिले में कर्फ्यू लगाया गया है. साथ ही सोनितपुर, लखीमपुर और तिनसुकिया में धारा 144 लगा दी गई है.

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नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन
नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन

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  • लोकसभा से पास हो चुका है नागरिकता संशोधन विधेयक
  • कांग्रेस, आरजेडी, टीएमसी समेत अन्य दल कर रहे विरोध
  • असम के गुवाहाटी और कामरूप जिले में लगाया गया कर्फ्यू

नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ पूर्वोत्तर के राज्यों में हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. त्रिपुरा में इंटरनेट सेवाएं बंद होने के बाद अब असम के 10 जिलों में इंटरनेट सेवाएं ठप कर दी गई हैं, जबकि गुवाहाटी और कामरूप जिले में कर्फ्यू लगाया गया है. असम के 10 जिलों में बुधवार शाम 7 बजे से अगले 24 घंटे के लिए मोबाइल सेवाओं पर पाबंदी लगाई गई है.

इसके अलावा नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे एक हजार लोगों को हिरासत में लिया गया है. साथ ही सोनितपुर, लखीमपुर और तिनसुकिया में धारा 144 लगा दी गई है. असम के कई जिलों में हिंसक प्रदर्शनों के चलते प्रशासन ने ये कदम उठाए हैं. नागरिकता संशोधन विधेयक का सड़क से लेकर संसद तक विरोध हो रहा है.

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कांग्रेस, आरजेडी और टीएमसी समेत अन्य विपक्षी पार्टियां नागरिकता संशोधन विधेयक का जोरशोर से विरोध कर रही हैं. यह विधेयक लोकसभा से पास हो चुका है और राज्यसभा में इस पर बहस चल रही है. लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन करने वाली शिवसेना ने राज्यसभा में इस विधेयक के पक्ष में वोट नहीं करने का फैसला लिया है.

इससे पहले बुधवार को ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में कहा कि असम समझौते के क्लॉज-6 के तहत एक समिति सांस्कृतिक व सामाजिक पहचान और स्थानीय भाषाई लोगों से जुड़ी सभी चिंताओं का समाधान करेगी. शाह ने कहा, ‘मैं इस सदन के माध्यम से असम के सभी मूल निवासियों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि मोदी सरकार उनकी सभी चिंताओं का समाधान करेगी. क्लॉज-6 के तहत गठित समिति सभी चिंताओं पर गौर करेगी.

अमित शाह ने कहा कि समिति का गठन तब तक नहीं किया गया, जब तक कि मोदी सरकार सत्ता में नहीं आई. पिछले 35 वर्षों तक कोई भी परेशान या चिंतित नहीं हुआ. जब असम समझौते पर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने हस्ताक्षर किए गए थे, तब राज्य में आंदोलन रुक गए थे और लोगों ने जश्न मनाया था. हालांकि समिति का गठन कभी नहीं किया गया.

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