नरेंद्र मोदी कैबिनेट की बैठक में बुधवार को कई अहम फैसले लिए गए. सरकार ने नाबालिग आरोपी को भी कड़ी सजा
दिए जाने का रास्ता आसान करने की तैयारी कर ली है. समझा जाता है कि केन्द्रीय कैबिनेट ने किशोर न्याय बोर्ड को शक्ति प्रदान करने के एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी जिसके तहत बोर्ड यह फैसला कर सकेगा कि बलात्कार जैसे किसी जघन्य अपराध में संलिप्त 16 साल से ज्यादा उम्र के किसी किशोर को पर्यवेक्षण गृह भेजा जाए या किसी नियमित अदालत में उसपर मुकदमा चलाया जाए.
यह प्रस्ताव कैबिनेट बैठक की कार्यसूची में रखा गया था. सभी केन्द्रीय मंत्रालय किशोर न्याय (बच्चों का देखरेख एवं सुरक्षा) अधिनियम 2000 में संशोधन करने की मंजूरी पहले ही दे चुके हैं.
कानून में परिवर्तन का प्रस्ताव 16 दिसंबर 2012 के दिल्ली गैंगरेप में दोषी ठहराए एक अवयस्क को तीन साल के लिए सुधारगृह में रखने की हल्की सजा की पृष्ठभूमि में आया है.
बहरहाल, विधेयक के अनुसार किशोर न्याय अधिनियम या भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत चलाए गए किसी मुकदमे में जघन्य अपराध में संलिप्त किसी किशोर को किसी भी हालत में सजाए मौत या उम्रकैद की सजा नहीं दी जाएगी. प्रस्तावित संशोधन में बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया तेज करना भी शामिल है.
इसके अलावा मोदी मंत्रिमंडल ने रक्षा और रेलवे क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा बढ़ाए जाने को मंजूरी दे दी है. रक्षा क्षेत्र में एफडीआई 26 फीसदी से बढ़ाकर 49 फीसदी कर दी गई है. वहीं रेलवे इन्फ्रास्ट्रक्चर में 100 फीसदी विदेशी निवेश को मंजूरी दे दी गई है. वहीं मोतिहारी में महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय को हरी झंडी देकर बिहार को बड़ा तोहफा दिया गया है.
Thanks to #ModiGovt for announcing Mahatma Gandhi Central University in Motihari. Will go a long way in improving education sector in Bihar.
— Shahnawaz Hussain (@ShahnawazBJP) August 6, 2014
Improvement in Railways has been incremental over the years.100% FDI in RailwayInfra by #ModiGovt will help in achieving exponential growth!
— Shahnawaz Hussain (@ShahnawazBJP) August 6, 2014
अब भी फांसी या उम्रकैद नहीं होगी नाबालिग को
सू्त्रों की मानें तो नए कानून के मुताबिक, 16 से 18 साल के नाबालिगों की सुनवाई सामान्य कोर्ट में किए जाने पर
फैसला जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड लेगा. अगर बोर्ड को नाबालिग का अपराध जघन्य लगा तो वह मामले को सामान्य कोर्ट
भेज सकेगा. दोषी पाए जाने पर उस पर आईपीसी की धाराओं के तहत कार्रवाई की जाएगी. हालांकि जघन्य अपराध में शामिल नाबालिग को अब भी उम्रकैद या फांसी नहीं दी जा सकेगी.
यह संशोधित बिल मंजूरी के लिए संसद के समक्ष रखा जाएगा. गौरतलब है कि दिसंबर 2012 में हुए दिल्ली गैंगरेप की घटना के बाद जुवेनाइल एक्ट में बदलाव की मांग जोर-शोर से उठी थी. मामले का एक आरोपी नाबालिग है.