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नए लोकपाल बिल के नए ड्राफ्ट को कैबिनेट की मंजूरी

लोकपाल बिल के नए ड्राफ्ट को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है. गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक में लोकपाल बिल में किए गए संशोधन को मंजूरी दे दी गई.

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मनमोहन सिंह
मनमोहन सिंह

लोकपाल बिल के नए ड्राफ्ट को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है. गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक में लोकपाल बिल में किए गए संशोधन को मंजूरी दे दी गई. अब इस बहुप्रतिक्षित बिल को संसद के आगामी बजट सत्र में राज्यसभा में पेश किया जाएगा.

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गौरतलब है कि इससे पहले सरकार जो लोकपाल बिल ला रही थी वो लोकसभा में तो पास हो गया लेकिन राज्य सभा में अटक गया. तब सरकार ने इसे सेलेक्ट कमिटी के पास विचार के लिए भेजा था. अब जिस लोकपाल बिल पर कैबिनट ने पास किया है उसमें राज्यसभा की सलेक्ट कमेटी की तमाम सुझावों को शामिल किया गया है.

सरकार का दावा है कि इस पर तमाम सियासी दलों की सहमति है और कैबिनेट की मंजूरी के बाद इसे संसद से पास कराने में दिक्कत नहीं आएगी.

हालांकि सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक को ड्रामा करार दिया. उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार नीयत और मंशा साफ नहीं है.

लोकपाल का नया बिल पुराने से कैसे अलग है?

1. नए बिल में राज्यों में लोकायुक्त बनाने का अधिकार राज्य सरकारों पर छोड़ दिया गया है, जबकि पुराने बिल में राज्य सरकारों के लिए साल भर के भीतर लोकायुक्त की नियुक्ति जरूरी थी. राज्य सरकारों ने इसे उनके अधिकार में दखल मानकर जोरदार विरोध किया था.

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2. नए बिल के मुताबिक लोकपाल की नियुक्ति पांच लोग मिलकर करेंगे. जिनमें प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, लोकसभा अध्यक्ष शामिल होंगे इसके अलावा पांचवां सदस्य पीएम और नेता विपक्ष द्वारा चुना गया कोई न्यायविद होगा. पहले नियुक्ति पैन में सिर्फ प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और लोकसभा अध्यक्ष को रखा गया था.

3. नए बिल में लोकपाल को सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ केस चलाने का अधिकार दिया गया है. पहले ये अधिकार सरकार के पास था.

4. नए बिल में धार्मिक संस्थाओं को छोड़ सभी एनजीओ को लोकपाल के दायरे में रखा गया है. पुराने बिल में सारे एनजीओ लोकपाल से बाहर थे.

5. नए बिल में सरकारी अफसरों को मौका मिलेगा कि वो जांच से पहले लोकपाल के सामने अपना पक्ष रखें. पहले उनके पास ये अधिकार नहीं था.

6. इसके अलावा सरकार ने सेलेक्ट कमेटी की ये सिफारिश भी मान ली है कि सीबीआई के डायरेक्टर ऑफ प्रॉसिक्यूशन की नियुक्ति सीवीसी करे.

7. सरकार ने ये भी मान लिया है कि सीबीआई के जो अधिकारी लोकपाल द्वारा सौंपी जांच कर रहे होगें, उनके तबादले से पहले लोकपाल के साथ भी बातचीत की जाएगी.

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