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कैबिनेट की बैठक में रियल एस्टेट रेगुलेशन को मंजूरी

देर से ही सही, लेकिन घर का सपना दिखाकर धोखाधड़ी करने वाले बिल्डर्स पर शिकंजा कसने के लिए सरकार ने आखिर कदम बढ़ा दिया है. कैबिनेट में रियल एस्टेट को रेगुलेट करने वाला बिल पास कर दिया गया.

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रियल एस्टेट रेगुलेशन
रियल एस्टेट रेगुलेशन

देर से ही सही, लेकिन घर का सपना दिखाकर धोखाधड़ी करने वाले बिल्डर्स पर शिकंजा कसने के लिए सरकार ने आखिर कदम बढ़ा दिया है. मंगलवार को कैबिनेट में रियल एस्टेट को रेगुलेट करने वाला बिल पास कर दिया गया. अगर ये बिल अमल में आता है तो बिल्डर्स से ताकत छिनकर ग्राहकों के हाथ आ सकती है.

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सरकार की चली तो जल्द ही दिल्ली और एनसीआर ही नहीं, पूरे देश की बदलती इस सूरत पर लगाम सरकार की होगी. अरबों का कारोबार कर रहे बिल्डर्स की मनमानी पर कोड़ा चलाने का अधिकार होगा और कानून की कमी से मनमानी कर रहे बिल्डरों की खैर नहीं होगी.

प्रधानमंत्री आवास पर हुई मंत्रिमंडल की बैठक में 6 साल से अटके बिल को हरी झंडी मिल गई.

कैबिनेट ने 2007 में बने द रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) बिल पास कर दिया है. इस विधेयक में बिल्डरों पर नजर रखने के लिए प्राधिकरण के साथ साथ कानून बनाने का प्रावधान है. कानून बनने के बाद बिल्डरों की मनमानी नहीं चलेगी, गुमराह करने वाले विज्ञापन देने पर कार्रवाई की जा सकेगी.

सरकार सॉफ्ट लॉन्‍च पर अंकुश तो लगाएगी ही, आने वाले समय में अथॉरिटी से मंजूरी लिए बगैर कोई भी प्रोजेक्ट लॉन्‍च नहीं होगा. कानून का पालन ना करने पर कुल प्रोजेक्ट का 20 फीसदी जुर्माना हो सकता है और तीन साल के लिए जेल भी जाना पड़ सकता है.

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केंद्रीय मंत्री अजय माकन ने बजट सत्र में ही विधेयक पेश कर देने का दावा किया था, लेकिन कैबिनेट में आपसी मतभेद इसके राह का रोड़ा बना रहा. माना जा रहा है कि नया कानून बनने पर घर का संपना संजोए लोगों के साथ धोखे की गुंजाइश कम होगी और लोग फर्जीवाड़े से बच पाएंगे.

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