दागी नेताओं को बचाने वाले अध्यादेश पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के ऐतराज के बाद केंद्र सरकार यू टर्न लेने के मूड में है. इसका खुलासा हुआ है बुधवार को होने वाली कैबिनेट बैठक के नोट से. इस कैबिनेट नोट में जनता के आक्रोश का जिक्र है. आपको बता दें कि इस कैबिनेट नोट की कॉपी आज तक के पास है.
इस नोट में कहा गया है कि लोगों को लगता है कि सरकार अपराधियों को बचाने की कोशिश कर रही है. हालांकि अपने फैसले के बचाव में कैबिनेट ने लिखा है कि सरकार का मकसद अपराधियों की बचाने का नहीं है.
दरअसल, सरकार की मंशा पर उठ रहे सवाल के जवाब में स्थिति साफ करते हुए कहा गया है कि अध्यादेश का मकसद अपराधियों को बचाने का का नहीं है. इस बिंदु के जरिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कैबिनेट के फैसले का बचाव करने की कोशिश की गई है. कैबिनेट नोट में पीआरए एक्ट 2013 को राज्यसभा के चेयरमैन द्वारा स्टैडिंग कमिटी के पास भेजे जाने का भी जिक्र है.
कैबिनेट नोट में अध्यादेश पर राष्ट्रपति की चुप्पी का भी संज्ञान लिया गया है. इसमें लिखा है कि राष्ट्रपति ने अध्यादेश पर हस्ताक्षर नहीं किया है, ऐसे में इस मुद्दे पर मंत्रिमंडल में चर्चा होनी चाहिए और आगे की रणनीति तय हो.
कैबिनेट नोट में कहा गया है कि या तो सरकार अध्यादेश पर प्रणब मुखर्जी के आखिरी फैसले का इंतजार कर सकती है या फिर इसे वापस लेकर स्टैडिंग कमिटी की सिफारिशों का इंतजार किया जाए.
इस नोट से साफ है कि सरकार अब इस मुद्दे पर और फजीहत से बचना चाहती है और कैबिनेट की गरिमा को बनाए रखना चाहती है. वो भी तब जब राहुल गांधी सार्वजनिक तौर पर अध्यादेश को बकवास बता चुके हैं.
गौरतलब है कि अध्यादेश को लेकर बुधवार शाम को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक होगी. इससे पहले कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक होने की संभावना है. वहीं, मनमोहन सिंह मंगलवार रात भारत वापस लौट रहे हैं. सूत्रों ने बताया है कि बुधवार को पीएम राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात कर सकते हैं. हालांकि मीटिंग का मुख्य एजेंडा तो पीएम का अमेरिकी दौरा रहेगा पर इस दौरान विवादित अध्यादेश पर चर्चा हो सकती है.