नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) विनोद राय ने कहा है कि संविधान ने उनकी इस सरकारी ऑडिट संस्था को अपनी जिम्मेदारी पूरी करने तथा बिना रोकटोक ऑडिट करने का पर्याप्त अधिकार दे रखा है.
ऑल इंडिया रेडियो के साथ एक साक्षात्कार में राय ने कहा, ‘हमें और अधिकारों की जरूरत नहीं है. संविधान निर्माताओं ने बड़ी ईमानदारी से कैग की भूमिका तय की है. दायरे और अधिकार दोनों उचित तरीके से परिभाषित किए गए हैं. कैग को इतने अधिकार और इतनी छूट है कि वह बिना अवरोध के ऑडिट का अपना काम कर सकता है.’
उल्लेखनीय है कि सरकार ने 2जी स्पेक्ट्रम और कोयला ब्लाक आवंटन मामले में कैग की ऑडिट रिपोर्ट की कड़ी आलोचना की थी. राय ने हालांकि कहा कि आडिट की के दौरान उन्हें सरकार से किसी प्रकार का दबाव नहीं झेलना पड़ा. राय ने कहा, ‘सरकार और अन्य एजेंसियां कैग की स्वतंत्रता का सम्मान करती हैं. रिपोर्ट तैयार करते समय मुझे कभी किसी प्रकार का दबाव नहीं झेलना पड़ा.’
उन्होंने कहा कि आडिट किसी परियोजना की असफलता या खामियों को दर्शाता है. कैग रिपोर्ट के सरलीकरण संबंधी सवाल पर राय ने कहा, ‘मेरे विभाग का और मेरा निश्चित रूप से मानना है कि हमारे जो भी निष्कर्ष होते हैं उन्हें लोक लेखा समिति (पीएसी) व संसद में रख कर बहस कराई जाए. हमें बड़ी भूमिका निभाने की जरूरत है क्यों कि भारत की संसदीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में आम आदमी ही सबसे बड़ा हिस्सेदार है.’
विनोद राय ने कहा कि कैग रिपोर्ट इस तरीके से तैयार होनी चाहिए कि उसे आम आदमी भी समझ सके. उन्होंने कहा कि आडिटिंग की पूरी प्रक्रिया को तेज कर दिया है ताकि यह कम खत्म होने के आठ माह में उसकी आडिट पूरी कर ली जाए.’ राय ने कहा, ‘ये रिपोर्टें अभी मौजूदा हैं, ये तर्कसंगत हैं, मुद्दे जनता के बीच हैं और इन पर संसद या पीएसी में चर्चा हो सकती है.’
इससे पहले किसी घटनाक्रम के पूरा होने के तीन-चार साल में ऑडिट रिपोर्ट पेश की जाती थी. उन्होंने कहा कि कैग इस समय विशेषीकृत ऑडिट के लिए टीम बनाने पर काम कर रहा है. साथ ही वह पर्यावरण ऑडिट के क्षेत्र में उतरने की भी तैयारी कर रहा है.