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CAG ने फ्लेक्सी फेयर को लेकर रेलवे को लताड़ा, कहा- खाली जा रही हैं ट्रेनें

कैग ने कहा कि राजधानी, शताब्दी और दुरंतो जैसी ट्रेनों में फ्लेक्सी फेयर लागू होने के बाद से AC सेकंड क्लास की 17 फीसदी से ज्यादा सीटें और थर्ड एसी की पांच फीसदी सीटें खाली रह जाती हैं.  इस योजना से यात्रियों को हवाई यात्रा के लिए मजबूर  होना पड़ रहा है.

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फाइल फोटो
फाइल फोटो

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भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने फ्लेक्सी फेयर को लेकर रेलवे को जमकर लताड़ लगाई है. कैग ने कहा कि राजधानी, शताब्दी और दुरंतो जैसी ट्रेनों में फ्लेक्सी फेयर लागू होने के बाद से AC सेकंड क्लास की 17 फीसदी से ज्यादा सीटें और थर्ड एसी की पांच फीसदी सीटें खाली रह जाती हैं. 

इस योजना से यात्रियों को हवाई यात्रा के लिए मजबूर  होना पड़ रहा है. कैग की रिपोर्ट में कहा गया कि थर्ड एसी के टिकट से रेलवे पहले से ही फायदा कमा रहा था. लिहाजा इसमें फ्लेक्सी फेयर सिस्टम लागू करना सही नहीं है. मालूम हो कि राजधानी, शताब्दी और दुरंतो ट्रेनों में फ्लेक्सी फेयर नौ सितंबर 2016 को लागू किया गया था.

कैग रिपोर्ट में कहा गया कि नौ सितंबर 2016 से लेकर 31 जुलाई 2017 तक इन ट्रेनों से तकरीबन सात लाख मुसाफिर दूर हो गए. फ्लेक्सी फेयर की वजह से शताब्दी, दुरंतो और राजधानी ट्रेनों के रूट पर चलने वाली दूसरी मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों पर लोड भी बढ़ गया है.

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रेल यात्रा की तुलना में हवाई यात्रा सस्ती

कैग की रिपोर्ट में फ्लेक्सी फेयर सिस्टम लागू होने के बाद से कई जगह की रेल यात्रा को हवाई यात्रा के मुकाबले महंगा पाया गया. इस रिपोर्ट के मुताबिक 120 दिन पहले टिकट बुक कराने पर 17 मार्गों पर हवाई यात्रा रेल यात्रा के मुकाबले सस्ती है.

दूसरी तरफ नौ हवाई मार्ग में किराया ज्यादा है, लेकिन यह रेल किराए के मुकाबले महज 600 रुपये ही ज्यादा है. अगर 90 दिन पहले टिकट बुक कराएं, तो 18 डेस्टिनेशन के लिए रेल सफर के मुकाबले हवाई सफर ज्यादा सस्ता है.

कैग की रिपोर्ट के मुताबिक प्रीमियम ट्रेनों में तत्काल टिकट योजना लागू होने से सितंबर 2015 से लेकर जुलाई 2016 के दौरान राजधानी, दुरंतो और शताब्दी एक्सप्रेस के सेकंड एसी, थर्ड एसी और चेयरकार में पांच से 27 फीसदी सीटें खाली रहीं. सिर्फ दुरंतो एक्सप्रेस के स्लीपर क्लास में सभी बर्थ भरे रहे.

कैग ने कहा कि तत्काल के तहत 30 फीसदी सीटों का इस्तेमाल करने में रेलवे सक्षम नहीं रहा, तो 40 से 50 फीसदी बढ़े किराए के साथ फ्लेक्सी फेयर के तहत सीटों को आवंटित करना सही नहीं है.

कैग की रिपोर्ट के जवाब में रेलवे बोर्ड ने कहा कि योजना की समीक्षा के लिए पहले ही समिति का गठन किया जा चुका है और उसने अपनी रिपोर्ट जनवरी 2018 में सौंप दी. उनकी सिफारिशों पर मंत्रालय विचार कर रहा है.

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