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राफेल पर CAG रिपोर्ट में कीमत का जिक्र नहीं, 11 डिफेंस डील का हिसाब, आज संसद में रखेगी सरकार

CAG Report on Rafale deal राफेल सौदे को लेकर विपक्ष के लगातार हमलावर रुख के बीच CAG ने इस पर अपनी रिपोर्ट संसद को दे दी है. इस रिपोर्ट को आज संसद के पटल पर रखा जा सकता है. हालांकि आजतक को सूत्रों से यह खबर मिली है कि रिपोर्ट में इस बात की कोई चर्चा ही नहीं है कि विमानों की सही कीमत क्या है.

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राफेल पर आएगी CAG रिपोर्ट
राफेल पर आएगी CAG रिपोर्ट

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राफेल सौदे पर विपक्ष के लगातार हमले के बीच आज संसद में इस पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट पेश की जाएगी. सूत्रों के मुताबिक सीएजी सिर्फ राफेल नहीं बल्कि वायु सेना के 11 खरीद सौदों पर अपनी रिपोर्ट देगी. यही नहीं, इस रिपोर्ट में राफेल विमानों की वास्तविक कीमत के बारे में कोई चर्चा नहीं है.

सूत्रों ने आजतक-इंडिया टुडे को बताया कि राफेल सौदा तो सीएजी की रिपोर्ट का महज एक हिस्सा है. सीएजी ने एक साथ अब तक के वायु सेना के 11 रक्षा खरीद सौदों की ऑडिट की है. इस रिपोर्ट में रक्षा खरीद के सभी पैरामीटर के आधार पर राफेल डील का मूल्यांकन किया गया है. सूत्रों के मुताबिक सीएजी ने रक्षा खरीद सौदों का एक 'तुलनात्मक मूल्यांकन' किया है.

गौरतलब है कि राफेल सौदे को लेकर विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर हमलावर रहा है. सोमवार को लखनऊ में आयोजित कांग्रेस के रोड शो के दौरान भी राहुल-प्रियंका ने राफेल विमान की प्रतिकृति हाथ में लहराई थी. इस सौदे के बारे में मीडिया में लगातार कई ऐसी खबरें आ रही हैं, जिससे सरकार को बचाव की मुद्रा में आना पड़ा है. हालांकि, सरकार इसका सख्ती से जवाब भी दे रही है.

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सोमवार को ही अंग्रेजी अखबार द हिंदू में छपी एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि केंद्र सरकार ने इस सौदे से एंटी करप्शन क्लॉज जैसी महत्वपूर्ण शर्त को हटा दिया था. इस पर समाचार एजेंसी एएनआई पर सूत्रों के हवाले से सफाई आई है कि इस सौदे के लिए भारत और फ्रांस सरकार में हुआ समझौता वास्तव में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार द्वारा तय की गई नीतियों के तहत हुआ था. तब ए.के. एंटनी रक्षा मंत्री थे.

पिछले हफ्ते छपी ऐसी ही एक रिपोर्ट में कहा गया था कि रक्षा मंत्रालय की टीम के समानांतर पीएमओ ने इस सौदे के लिए फ्रांस सरकार से बात की थी.

साल 2015 में हुआ था समझौता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्रांस यात्रा के दौरान साल 2015 में भारत और फ्रांस के बीच इस विमान की खरीद को लेकर समझौता किया गया था. इस समझौते में भारत ने जल्द से जल्द 36 राफेल विमान फ्लाइ-अवे यानी उड़ान के लिए तैयार विमान हासिल करने की बात कही. समझौते के अनुसार दोनों देश विमानों की आपूर्ति की शर्तों के लिए एक अंतर-सरकारी समझौता करने को सहमत हुए.

कीमत को लेकर बवाल

एनडीए सरकार ने दावा किया कि यह सौदा उसने यूपीए से ज्यादा बेहतर कीमत में किया है और करीब 12,600 करोड़ रुपये बचाए हैं. लेकिन 36 विमानों के लिए हुए सौदे की लागत का पूरा विवरण सार्वजनिक नहीं किया गया. सरकार का दावा है कि पहले भी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की कोई बात नहीं थी, सिर्फ मैन्युफैक्चरिंग टेक्नोलॉजी की लाइसेंस देने की बात थी. लेकिन मौजूदा समझौते में 'मेक इन इंडिया' पहल किया गया है. फ्रांसीसी कंपनी भारत में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देगी.

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