अगस्टा वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर डील पर सीएजी रिपोर्ट आज संसद में पेश हो गई है. सीएजी रिपोर्ट में वीवीआईपी हेलीकॉप्टर डील पर सवाल उठाए गए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि डील में तय नियमों की अनदेखी की गई. इस सौदे में देश को घाटा हुआ है. हमें हेलीकॉप्टरों की ज्यादा कीमतें बताई गई जिस वजह से आर्थिक घाटा हुआ.
CAG रिपोर्ट के मुख्य अंश
1. अगस्टा वेस्टलैंड के AW-101 हेलीकॉप्टर का ट्रायल उसी तरह के एक डमी हेलीकॉप्टर पर किया गया, क्योंकि उस वक्त तक अगस्टा वेस्टलैंड AW-101 हेलीकॉप्टर निर्माणाधीन था. इस ट्रायल से टेंडर में शॉर्टलिस्ट किए गए दो अलग वेंडरों को बराबर मौका नहीं मिला.
2. DPP द्वारा 2006 में हेलीकॉप्टरों की कीमतों को तय करने के लिए गाइडलाइन तय किए गए. इस सौदे के की रकम 4871.5 करोड़ रुपये तय की गई जो बहुत ज्यादा थी.
3. AW-101 हेलीकॉप्टर की समीक्षा 2002 में इस वजह से नहीं की जा सकी थी क्योंकि यह 4572 मीटर तक ऊंचाई तक उड़ सकता था. जबकि मांग 6000 मीटर की ऊंचाई तक उड़ने वाले हेलीकॉप्टर की थी.
अगस्टा वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर घोटाला
2010 में इटली के फिनमैकनिक्का कंपनी से 12 अगस्टा वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर खरीदने का करार हुआ था. इस सौदे की कीमत 56 करोड़ यूरो (3,546 करोड़ रु.) थी. इन हेलिकॉप्टरों का इस्तेमाल राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जैसे भारत के वीवीआईपी नेताओं के लिए होना था. इटली पुलिस के मुताबिक, इस सौदे के लिए कुल 5.1 करोड़ यूरो (350 करोड़ रु.) की रकम इटली और भारत के लोगों को रिश्वत के तौर पर दी गई जो सौदे की कुल कीमत का करीब 10 प्रतिशत है. पुलिस ने इस सिलसिले में फिनमैकनिक्का के सीईओ गुइसेपे ओरसी को गिरफ्तार किया था. वहीं, 2004 से 2007 तक वायु सेना प्रमुख रहे एसपी त्यागी पर रिश्वत लेने का आरोप लगा था. मामला उजागर होने के बाद रक्षा मंत्री एके एंटनी ने सौदे की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. वहीं, इस डील की जांच संयुक्त संसदीय समिति (JPC) भी कर रही है.