कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की कड़ी आलोचना की और कहा कि वो सत्ता में आने पर जीएसटी को ख़त्म करने की बात कह रहे हैं. जबकि उनके पास किसी अन्य वैकल्पिक कर व्यवस्था का कोई ब्लू प्रिंट नहीं है. व्यापारियों के कंधे पर बन्दूक रख कर अपना राजनीतिक निशाना साधने की इस कोशिश का खंडेलवाल ने कड़ा विरोध किया और चेताया कि गांधी, व्यापारियों का कंधा इस्तेमाल कर कोई राजनीति न करें, अन्यथा आगामी चुनावों में कांग्रेस को व्यापारी करारा जवाब देंगे.
खंडेलवाल ने कहा कि राहुल गांधी देश के व्यापारियों को मूर्ख समझने की गलती न करें. व्यापारी जानते हैं कि उनके लिए क्या अच्छा है और क्या बुरा. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी व्यापारियों को बताएं कि देश के व्यापारियों के लिए उनके पास क्या योजनाएं और कार्यक्रम हैं.
कांग्रेस ने आजादी से अब तक की व्यापारियों की उपेक्षा
दरअसल प्रवीन खंडेलवाल दिल्ली में आयोजित एक व्यापारी सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. जहां उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से अब तक देश में सबसे ज्यादा शासन कांग्रेस पार्टी ने किया है, लेकिन कांग्रेस के लंबे शासनकाल में देश के व्यापारियों को कभी सरकार ने अपनी प्राथमिकता पर नहीं रखा और न ही व्यापारियों के साथ न्याय हुआ. उन्होंने सवाल किया कि राहुल गांधी बताएं कि जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी तब कितनी बार वो व्यापारियों के प्रतिनिधिमंडल से मिले अथवा जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार थी उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कितनी बार व्यापारियों से मुलाकात की.
देश के 7 करोड़ व्यापारी हुए लामबंद- एकतरफा करेंगे मतदान
आगामी चुनावों के संदर्भ में खंडेलवाल ने कहा कि देश भर के 7 करोड़ से अधिक व्यापारी अब एक वोट बैंक में पूर्ण रूप से तब्दील हो गए हैं. गौरतलब है कि कैट ने दो महीने पहले देश भर में "एक देश-एक व्यापारी-दस वोट" का राष्ट्रीय अभियान चलाया था, जिसके अंतर्गत देश भर में फैले व्यापारी संगठनों ने विगत दो महीनों में 500 से अधिक व्यापारी सम्मेलन कर व्यापारियों को उनके वोट के महत्व के बारे में बताया और आगामी चुनावों में एकजुट होकर मतदान करने का आग्रह किया. यह अभियान पूरे देश में बेहद सफल रहा और अब देश के व्यापारी कैट के साथ खड़े हैं और एकजुट होकर आनेवाले चुनावों में एकतरफा मतदान करेंगे.
खंडेलवाल ने आगे कहा कि वर्ष 1947 में जब देश आजाद हुआ तब देश में व्यापारियों की संख्या लगभग 30 लाख थी जो अब बढ़कर 7 करोड़ से अधिक हो गई है. लगभग 30 करोड़ लोग अपनी आजीविका के लिए व्यापारियों पर निर्भर हैं. देश में लगभग 42 लाख करोड़ का वार्षिक कारोबार होता है, जिसकी प्रतिवर्ष विकास दर लगभग 10 प्रतिशत है, बेहद अफ़सोस की बात है कि आजादी के बाद से कांग्रेस सरकार ने कभी भी घरेलू व्यापार को योजनाबद्द तरीके से विकसित करने का कोई प्रयास नहीं किया और सदैव कोशिश इस बात की रही कि भारतीय व्यापारी विदेशों से आयात होने वाली वस्तुओं पर ही निर्भर रहें. यही कारण है की आज चीन भारत के बाजार के एक बड़े हिस्से पर अपने उत्पादों से कब्ज़ा करने में कामयाब हुआ है.
खंडेलवाल ने कहा की अगामी चुनावों को लेकर व्यापारी बेहद सजग हैं और शीघ्र ही कैट अपना एक राष्ट्रीय चार्टर घोषित करेगा और जो भी दल कैट के राष्ट्रीय चार्टर को लागू करने की ठोस और तर्क सम्मत बात करेगा, देश के व्यापारी एकतरफा उस दल के पक्ष में मतदान करेंगे. इस बार व्यापारी केवल वायदों पर भरोसा नहीं करेंगे.