देशभर के कई राज्यों में रुके हुए प्रोजेक्टस के लिए केंद्र की पिछली UPA सरकार का भूमि अधिग्रहण बिल जिम्मेदार नहीं है. एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक इस बात का खुलासा RTI के जरिए हुआ है. जबकि एनडीए की सरकार ने रुके हुए प्रोजेक्टस के लिए UPA सरकार के भूमि अधिग्रहण बिल को जिम्मेदार ठहराया था.
दरअसल, केंद्र की मोदी सरकार ने पिछली सरकार की भूमि अधिग्रहण बिल को देशभर के कई राज्यों में रुके हुए प्रोजेक्टस के लिए जिम्मेदार बताया था. सरकार की दलील दी थी कि ऐसे मामलों से निपटने के लिए भूमि अधिग्रहण बिल में सुधार की जरूरत है. लेकिन एक्टिविस्ट वेंकटेश नायक ने RTI के जरिए जब ये जानने की कोशिश की तो सच्चाई कुछ और थी.
RTI में इस बात का खुलासा हुआ है कि देशभर में सिर्फ 8 फीसदी प्रोजेक्ट्स ही ऐसे हैं जो पिछली सरकार के भूमि अधिग्रहण बिल की वजह से रुकी हुई है. ज्यादातर मामलों में पर्यावरण विभाग से क्लीयरेंस ना मिलने, बिल्डर के पास पैसे की कमी या बाजार को ही जिम्मेदार माना गया है.
वित्त मंत्रालय द्वारा भेजे गए इस RTI रिपोर्ट के मुताबिक रुके हुए कुल 804 प्रोजेक्टस में 145 लग्जरी प्रोजेक्टस हैं जिनमें होटल, रेस्त्रां, शॉपिंग मॉल, मल्टीप्लेक्स, गोल्फ कोर्स और रेसिंग ट्रैक बनने हैं. साथ ही सिर्फ 11 ऐसे प्रोजेक्ट्स हैं जिनमें 5 स्लम में रहने वालों के बसाने के लिए, 2 बजट होम के लिए, एक ओल्ड एज होम के लिए प्रस्तावित है. इस रिपोर्ट में ये भी खुलासा हुआ है कि रुके हुए ज्यादातर प्रोजेक्ट्स में से 78 फीसदी प्राइवेट कंपनियों या लोगों के हैं और सिर्फ 22 फीसदी प्रोजेक्ट सरकारी हैं.