सुप्रीम कोर्ट ने सतलुज यमुना लिंक (SYL) नहर पर निर्माण कार्य को जारी रखने का फैसला दिया है. कोर्ट के इस फैसले से पंजाब सरकार को करारा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले तुरंत बाद इस मसले को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई. बैठक में फैसला लिया गया कि पंजाब पानी का एक भी बूंद पंजाब से बाहर जाने नहीं देगा. प्रकाश सिंह बादल की अगुवाई में हुई इस आपात में फैसला लिया गया कि इस मसले को लेकर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से अपील की जाएगी कि वो भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ना मानें. इस मसले को लेकर पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र 16 नवंबर को बुलाया गया है.
वहीं इस मसले को लेकर पंजाब में राजनीति भी तेज हो गई है. फैसले के विरोध में कांग्रेस सांसद अमरिंदर सिंह ने इस्तीफा दे दिया है. पंजाब के सभी कांग्रेस विधायकों ने भी कैप्टन अमरिंदर सिंह को अपने इस्तीफे भेज दिए हैं.
कांग्रेस विधायक दल के डेप्युटी लीडर भारत भूषण ने कहा कि पंजाब कांग्रेस के विधायकों ने अमरिंदर सिंह को इस्तीफा भेज दिया है. शुक्रवार को स्पीकर को व्यक्तिगत तौर पर इस्तीफा सौंपेगे. उन्होंने कहा कि पंजाब एक बूंद पानी भी देने की स्थिति में नहीं है. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पहले ही कहा था कि अगर फैसला पंजाब के खिलाफ आया तो कांग्रेस के सभी विधायक इस्तीफा देंगे. अमरिंदर सिंह के इस्तीफे पर मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि ये राजनीतिक ड्रामा है. आगे क्या करना है ये कैबिनेट की बैठक में तय किया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पंजाब अन्य राज्यों के साथ हुए समझौते से एकतरफा निर्णय करके बाहर नहीं जा सकता. कोर्ट ने सतलुज यमुना संपर्क नहर मामले में राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए सवालों का नकारात्मक जवाब देते हुए कहा कि इस तरह अन्य राज्यों के साथ जल बंटवारे का समझौता रद्द करने का पंजाब का कानून अवैध है. फैसले पर हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि फैसला देरी से आया लेकिन हक में आया. मैं इसका स्वागत करता हूं.
खट्टर ने फैसले का किया स्वागत
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद कहा है कि इसे लागू करने की जिम्मेदारी अब दोनों राज्यों की सरकारों की है. यह नेचुरल जस्टिस है और इस पर किसी को राजनीति नहीं करनी चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय अब राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. राष्ट्रपति अब पंजाब सरकार को वह टर्मिनेशन एक्ट वापस लेने के लिए कह सकते हैं जो 2004 में पंजाब विधानसभा में हरियाणा के खिलाफ पारित किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर एडिशनल अटॉर्नी जनरल देवेंद्र सैनी ने कहा है कि अदालत ने हरियाणा और पंजाब के बीच चल रहे जल बंटवारे के विवाद में हरियाणा सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया है. इससे ये साफ होता है कि हरियाणा को पानी मिलेगा. उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जल बंटवारे के मुद्दे पर बने समझौते को तोड़ने का पंजाब सरकार को कोई हक़ नहीं.
ये है विवाद
सतलुज-यमुना लिंक नहर के पानी को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच काफी लंबे समय से विवाद चल रहा था. 2004 में तत्कालीन राष्ट्रपति ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से सलाह मांगी थी और उसी पर सर्वोच्च अदालत ने फैसला सुनाया. इस बीच पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा, 'अगर अदालत का फैसला हमारे खिलाफ आया तो पानी नहीं, अपने खून का एक-एक कतरा बहा देंगे.'