ऐसा लगता है कि हमारे देश में लोगों की जान की कोई कीमत ही नहीं है. कार कंपनियों का ही उदाहरण ले लीजिए. कार कंपनियां भारतीयों के लिए उस तरह के सुरक्षा मानक मुहैया नहीं कराती हैं जैसा दुनिया के अन्य देशों के लोगों के लिए वो करती हैं. यानी कार कंपनियां आपकी सेफ्टी के बारे में तनिक भी नहीं सोचतीं.
देश की कई मशहूर कंपनियों की कारों पर एक टेस्ट किया गया. मकसद यह पता लगाना कि अगर आपकी कार हादसे का शिकार होती है तो आपकी जान बचेगी या नहीं. इस टेस्ट में मारुति, टाटा, फॉक्सवैगन, ह्युंडई जैसी नामी कंपनियों की कार 'क्रैश टेस्ट' में बुरी तरह फेल रही. टेस्ट से पता चला कि कार हादसे की सूरत में आपकी जान को गंभीर खतरा है.
फॉक्सवैगन पोलो के इंडियन वर्जन वाले बिना एयरबैग्स के मॉडल पर 'क्रैश टेस्ट' किया गया (नीचे वीडियो में देखिए) . इसमें कार को जीरो-स्टार रेटिंग मिली. क्योंकि, हादसे की सूरत में इसमें बैठे लोगों की जान जाने का खतरा है. ड्राइवर और उसके बगल में बैठने वाले के लिए दो एयरबैग्स के साथ टेस्ट करने के बाद कार को 'फोर स्टार' रेटिंग दी गई.
फॉक्सवैगन की तरफ से मुहैया कराई गई बच्चों की सीट को 'थ्री-स्टार' रेटिंग दी गई है. टेस्ट करने वाली संस्था Global NCAP ने लोगों को सलाह दी है कि वो कार खरीदते समय इस बात का जरूर खयाल रखें कि वो फॉक्सवैगन का कौन का वर्जन खरीद रहे हैं.
'क्रैश टेस्ट' मारुति सुजुकी के ऑल्टो 800, टाटा नैनो, फोर्ड फिगो, ह्युंडई आई 10 और फॉक्सवैगन पोलो पर किया गया. पिछले साल भारत में बिकी कुल नई कारों में इन पांचों का हिस्सा मिलाकर करीब 20 फीसदी था. ग्लोबल एनसीएपी ने हर मॉडल के एंट्री लेवल वर्जन का टेस्ट किया तो पता चला कि इनके एयर बैग्स सुरक्षा मानकों पर खरे नहीं उतरते हैं. नीचे कुछ और वीडियो में देखिए ऐसी कारों पर हुए टेस्ट का नजारा... बिना एयरबैग वाले फॉक्सवैगन पोलो के इंडियन वर्जन पर टेस्ट किया गया. इसे जीरो स्कोर मिला. टाटा नैनो के इंडियन वर्जन पर किया गया टेस्ट, स्कोर मिला जीरो. मारुति सुजुकी ऑल्टो 800 के इंडियन वर्जन पर किया गया टेस्ट ह्युंडई आई 10 के इंडियन वर्जन पर किया गया टेस्ट फोर्ड फिगो के इंडियन वर्जन पर किया गया टेस्ट