असम में बोडो उग्रवादियों द्वारा मंगलवार की शाम आदिवासियों के नरसंहार को रोका जा सकता था. अगर असम प्रशासन और सुरक्षा बल खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी पर पुख्ता कार्रवाई करते. असम के विभिन्न इलाकों में बोडो उग्रवादियों की ओर से हमले को लेकर खुफिया एजेंसियों ने पहले ही प्रशासन को आगाह किया था. गौरतलब है कि मंगलवार शाम को उग्रवादिनयों ने हमला कर 75 से ज्यादा आदिवासियों को मौत के घाट उतार दिया, जबकि कई घायल हुए.
कोकराझार और सोनितपुर जिले में उग्रवादियों द्वारा आदिवासियों को निशाना बनाए जाने को लेकर खुफिया एजेंसियों ने हमले और टाइमिंग को लेकर अलर्ट जारी किया था. मंगलवार की शाम नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (सॉन्गबिजित) ने कोकराझार और सोनितपुर में संथाल आदिवासियों पर हमले किए.
इंटेलिजेंस ब्यूरो की ओर से गृहमंत्रालय को भेजी गई एक रिपोर्ट के मुताबिक असम पुलिस की स्पेशल ब्रांच और इंटेलिजेंस ब्यूरो की गुवाहाटी शाखा ने 23 दिसंबर की सुबह बोडो उग्रवादियों की ओर से मुस्लिमों और आदिवासियों पर हमले को लेकर सटीक जानकारी दी थी.
चौंकाने वाली बात यह है कि खुफिया एजेंसियों ने हमले और लोकेशन को लेकर सटीक जानकारी दी थी. इसके बावजूद प्रशासन ने कुछ नहीं किया.
खुफिया एजेंसियों ने 23 दिसंबर को भेजी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि कोकराझार और सोनितपुर में सौ से ज्यादा गैर बोडो लोगों को निशाना बनाया जा सकता है. इसके साथ ही भारी नुकसान पहुंचाने के लिए उग्रवादी ग्रेनेड का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
आईबी की ओर से सटीक और सही जानकारी होने के बावजूद तत्काल कदम ना उठाए जाने के चलते असम एक बार फिर लहुलुहान है. नेता और प्रशासन हमले की निंदा करने में लगे हुए हैं.