scorecardresearch
 

वायुसेना का गोपनीय दस्तावेज गुम होने का मामला, जांच के आदेश

वायुसेना ने 126 उपयोगी लड़ाकू विमानों की खरीद के 11 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक के करार से संबंधित एक गोपनीय दस्तावेज रक्षा मंत्रालय से गुम हो जाने और उसके सड़क किनारे पाये जाने के मामले की जांच के आदेश दे दिये.

Advertisement
X

वायुसेना ने 126 उपयोगी लड़ाकू विमानों की खरीद के 11 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक के करार से संबंधित एक गोपनीय दस्तावेज रक्षा मंत्रालय से गुम हो जाने और उसके सड़क किनारे पाये जाने के मामले की जांच के आदेश दे दिये.

Advertisement

वायुसेना के अधिकारियों ने यहां कहा कि ये गोपनीय दस्तावेज करार के ऑफसेट के प्रावधान से जुड़े हैं और इन्हें दिल्ली के एक क्षेत्र में सड़क किनारे पाया गया था.

एयर स्टाफ के सहायक प्रमुख (अभियान) एयर वाइस मार्शल एम मातेश्वरन ने बताया, ‘वायुसेना ने रक्षा मंत्रालय से गुम हुई एक गोपनीय फाइल के मामले में कोर्ट ऑफ एन्क्वायरी के आदेश दे दिये हैं. मंत्रालय भी उसके यहां से लापता हुई फाइल के मामले की जांच के अलग से आदेश देगा.’ यह घटना ऐसे समय हुई है जब कई अरब डॉलर का यह करार अहम स्तर पर पहुंच चुका है. वायुसेना ने छह कंपनियों के विमानों का गहन परीक्षण शुरू कर दिया है.

वायुसेना ने रक्षा मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट दाखिल की थी, जिसने इस करार के बारे में अंतिम निर्णय किया था. मातेश्वरन ने कहा कि वायुसेना ने एक वरिष्ठ अधिकारी के नेतृत्व में जांच कराने के आदेश दे दिये हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि आखिर वायुसेना से जुड़ी यह फाइल मंत्रालय से कैसे गायब हुई. उन्होंने कहा, ‘गोपनीय फाइल बरामद हो गयी है और यह अब हमारे संरक्षण में है.’ बहरहाल, यह साफ नहीं है कि किसने फाइल बरामद की और कैसे की.

Advertisement

रक्षा निर्माण प्रक्रियाओं के ऑफसेट प्रावधान के तहत 300 करोड़ रुपये से अधिक का करार करने वाले किसी भी विदेशी विक्रेता के लिये भारतीय रक्षा क्षेत्र में अनुबंध के मूल्य की 30 फीसदी राशि का निवेश करना जरूरी होता है.

इस करार के तहत करार की राशि का 50 फीसदी ऑफसेट तय किया गया था. वायुसेना को लड़ाकू विमानों की आपूर्ति करने की दौड़ में अमेरिकी एफ-16 और एफ-ए-18, फ्रेंच राफेल, स्वीडिश ग्रिपन, रूसी मिग 35 और यूरोपीय यूरोफाइटर है.

Advertisement
Advertisement