डीजल के दाम नियंत्रणमुक्त करने और प्राकृतिक गैस के दाम बढ़ाने जैसे बड़े सुधारों की पहल करने के बाद पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने सोमवार को कहा कि रसोई गैस सब्सिडी सीधे लाभार्थी के खाते में पहुंचाने से 10,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी बचाने मदद मिलेगी.
सरकार ने शनिवार को घरेलू रसोई गैस पर दी जाने वाली सब्सिडी को सीधे लाभार्थी के खाते में भुगतान करने की योजना फिर शुरू करने का फैसला किया. सरकार का कहना है कि योजना को सुधार के साथ लागू किया गया है. इससे पहले यूपीए सरकार ने भी यह योजना शुरू की थी. इसके तहत रसोई गैस उपभोक्ता को सब्सिडी का भुगतान उसके बैंक खाते में कर दिया जाता है, ताकि वह सिलेंडर बाजार मूल्य पर खरीद सके.
प्रधान ने कहा कि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना से सब्सिडी का दुरुपयोग रोकने और समूची प्रणाली में स्थिति बेहतर बनाने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि योजना को चालू वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही तक पूरी तरह लागू कर दिया जाएगा. ‘यह सब्सिडी बोझ कम करने का एक तरीका है. इससे 10,000 करोड़ रुपये की एलपीजी सब्सिडी कम करने में मदद मिलेगी.’ पिछले वित्त वर्ष में पेट्रोलियम पदार्थों पर 1,38,869 करोड़ रुपये के कुल सब्सिडी बोझ में 46,458 करोड़ रुपये की सब्सिडी एलपीजी पर दी गई.
प्रधान ने कहा कि डीजल के दाम नियंत्रणमुक्त करने का फैसला सोच-समझकर और सभी पहलुओं पर विचार के बाद ही किया गया. डीजल के दाम नियंत्रणमुक्त होने से इसके दाम में जनवरी, 2009 के बाद पहली बार कमी आई.
-इनपुट भाषा से