जनगणना में जाति को शामिल करने के फैसले के बाद सरकार को चार हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि यह राशि देश की 1.2 अरब की आबादी की गिनती के लिए कागज खरीदने और छापने पर खर्च होगी.
जाति आधारित जनगणना का मार्ग उस समय प्रशस्त हो गया था जब 11 अगस्त को मंत्री समूह ने बायोमेट्रिक चरण से इसे मंजूरी दे दी.
बायोमेट्रिक चरण के दिसंबर से शुरू होने की उम्मीद है जिसमें राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के लिए फोटाग्राफ फिंगर पिंट्र और आंख की पुतली का आकार दर्ज किया जाएगा.