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80 साल बाद फिर होगी जाति आधारित जनगणना

अनेक राजनीतिक दलों की मांग पर सरकार आज जाति आधारित जनगणना कराने पर राजी हो गई . यह प्रक्रिया अगले साल से शुरू होगी.

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अनेक राजनीतिक दलों की मांग पर सरकार आज जाति आधारित जनगणना कराने पर राजी हो गई . यह प्रक्रिया अगले साल से शुरू होगी. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में जाति आधारित जनगणना कराने को मंजूरी दी गई.

गृह मंत्री पी चिदंबरम ने इस फैसले की जानकारी देते हुए संवाददाताओं को बताया कि जाति आधारित जनगणना वर्तमान में चल रही सामान्य जनगणना की प्रक्रिया से स्वतंत्र होगी जो अगले साल जून से शुरू होकर सितंबर तक चलेगी.

चिदंबरम ने उम्मीद जताई कि कैबिनेट के इस फैसले से सभी पक्ष ‘संतुष्ट’ होंगे. सपा, बसपा, और जदयू जाति आधारित जनगणना के लिए सरकार पर दबाव बनाए हुए थे. उधर मुख्य सत्ता धारी पार्टी कांग्रेस और मुख्य विपक्षी दल भाजपा में इस बारे में नेताओं के बीच एकराय नहीं थी.

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उन्होंने बताया कि सरकार के इस फैसले से सामान्य जनगणना और बायोमीट्रिक प्रक्रिया प्रभावित नहीं होगी. चिदंबरम ने कहा कि आबादी की गणना के बाद जाति आधारित जनगणना चरणबद्ध ढंग से संचालित होगी . यह प्रक्रिया अगले साल मार्च तक पूरी कर ली जाएगी.

इससे पहले जाति आधारित जनगणना 1931 में हुई थी. आजादी के बाद इस तरह की जनगणना नहीं कराने का नीतिगत फैसला लिया गया था.{mospagebreak}

यह पूछने पर कि क्या जाति आधारित जनगणना को आबादी की गणना के साथ मिला दिया जाएगा, उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. इस मुद्दे पर गठित मंत्रीसमूह के सुझावों पर विचार के बाद यह फैसला किया गया. इस बारे में वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से भी सलाह मशविरा किया.

जाति आधारित जनगणना की मांग कर रहे राजनीतिक दलों के संदर्भ में गृह मंत्री ने कहा, ‘हर नजरिये को शामिल किया गया है और समयसारिणी तैयार की गयी है. हमें उम्मीद है कि यह संतोषजनक व्यवस्था होगी.’ राजद, सपा और जद यू जैसी पार्टियों ने इस मुद्दे पर संसद के बजट सत्र और मानसून सत्र के दौरान कार्यवाही बाधित की थी. ये पार्टियां जाति आधारित जनगणना की मांग कर रही थीं.

मुखर्जी ने हाल ही में लोकसभा को बताया था कि सभी राजनीतिक दलों ने जनगणना में जाति को शामिल करने के मुद्दे पर सहमति दे दी है और अब इस मुद्दे पर कोई आशंका पालने की आवश्यकता नहीं है.

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चिदंबरम ने कहा कि जाति आधारित आंकडे एकत्र करने के लिए कानून मंत्रालय के साथ सलाह मशविरा कर एक उचित कानूनी ढांचा तैयार किया जाएगा.

इस प्रक्रिया में अतिरिक्त लागत आएगी, जिसका आकलन अलग बैठक में किया जाएगा. भारत के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त जाति आधारित जनगणना का कामकाज देखेंगे. केन्द्र सरकार एक विशेषज्ञ समूह का गठन करेगी. महापंजीयक और जनगणना आयुक्त जाति और जनजातियों का ब्यौरा विशेषज्ञ समूह को सौंपेंगे.

एक सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति के अलावा 2011 की जनगणना में जाति को भी शामिल करने की संसद के भीतर और बाहर उठी मांग के आलोक में गृह मंत्रालय ने मई 2010 में केन्द्रीय मंत्रिमंडल को इस संबंध में एक नोट सौंपा था.

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