लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के एक बयान ने देश में आरक्षण की आग को एक बार फिर हवा दी है. महाजन ने कहा कि आरक्षण पर बाबा साहब अंबेडकर ने 10 साल बाद उसके रिव्यू की बात की थी. उन्होंने कहा कि इस पर चर्चा होनी चाहिए कि इससे कोई फर्क पड़ा है या नहीं. उन्होंने कहा कि इसकी अवधि बढ़ाते वक्त उस पर बहस होनी चाहिए.
सुमित्रा महाजन के इस बयान को कांग्रेस ने संघ और बीजेपी से जोड़कर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है और सरकार पर दलित विरोधी होने का आरोप जड़ा है. आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद ने कहा है कि आरक्षण पर किसी भी तरह के रिव्यू का सवाल ही नहीं उठता है. उन्होंने कहा कि अगर कोई ऐसा करता है तो वो दलितों और पिछडों के खिलाफ होगा. महाजन अहमदाबाद में स्मार्ट सिटीज पर हुए एक प्रोगाम में बोल रही थीं.
'65 साल बाद भी हालत जस की तस'
लोकसभा स्पीकर ने कहा, 'बाबा साहब ने भी 10 साल के लिए रिजर्वेशन की व्यवस्था को माना था. उनका मानना था कि इतने वर्षों में पिछड़ों को बराबरी मिल जाएगी, लेकिन आज 65 साल बाद भी उनकी हालत जस की तस है. रिजर्वेशन की मौजूदा व्यवस्था के लिए वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था जिम्मेदार है. हर 10 साल बाद जब रिजर्वेशन की टाइम लिमिट बढ़ाने का जब भी प्रपोजल आता है तो सभी पॉलिटिकल पार्टीज के लीडर इसका सपोर्ट करने लगते हैं. रिजर्वेशन की सिर्फ टाइम लिमिट ही बार-बार बढ़ाई जाती है.'
सुमित्रा महाजन ने आगे कहा कि पिछड़े लोगों के लिए हमने कुछ नहीं किया और वह भी इसकी दोषी हैं. महाजन ने कहा, 'मेरा मानना है कि इसकी समीक्षा की जानी चाहिए. हम पिछले 60-70 साल में भी देश से जातिवाद को खत्म नहीं कर पाए हैं. हमें सोचना चाहिए कि आखिर हम इतने वर्षों में भी अंबेडकर के सपनों का समाज क्यों नहीं बना पाए.'