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इंडियन पुलिस लीग में दिल्ली Vs मुंबई. मैच ज़ारी है

प्रतियोगिता गज़ब की चीज़ है. योग्यता का योग्यता से सीधा मुकाबला. मुक़ाबला के मूल में ही काबिलियत है. सृष्टि के मूल में भी है, डार्विन के सिद्धांत का आधार ही है. हम शुक्राणु के स्तर पर ही इस दौड़ में शामिल होते हैं, और करोड़ों में से एक जीतता है. वही जीता है, जन्म लेता है, दौड़ता रहता है, घर से श्मसान घाट तक.

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प्रतियोगिता गज़ब की चीज़ है. योग्यता का योग्यता से सीधा मुकाबला. मुक़ाबला के मूल में ही काबिलियत है. सृष्टि के मूल में भी है, डार्विन के सिद्धांत का आधार ही है. हम शुक्राणु के स्तर पर ही इस दौड़ में शामिल होते हैं, और करोड़ों में से एक जीतता है. वही जीता है, जन्म लेता है, दौड़ता रहता है, घर से श्मसान घाट तक.

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खेल की भावना के मूल में यही है. हम अकेले दौड़े तो अव्वल ही आते, मुकाबला ही बताता है हम अव्वल हैं या फिसड्डी. एक से ज्यादा लोग होने होते हैं मुकाबले में. क्रिकेट में 11-11 की टीम होती है. श्रीशांत की तीन लोगों की अपनी टीम थी. और एक उनका तौलिया था जो उनके इस ओवर के लम्बे रनअप में उनके पजामे में अटका था. ये रनअप था रफ़्तार के सितारे से भ्रष्टाचार के दलदल तक.

तभी एक रात दिल्ली की पुलिस बिल्ली के पांव से मुंबई पहुंची, श्रीशांत के कमरे में घुसी और उसे ले उड़ चली. मुंबई पुलिस के अफसरानों के होश उड़ गए. उनके नाक के नीचे से रसमलाई कोई और भकोस गया और वह खाली प्लेट में टुकड़े गिन रहे थे. पर मुंबईवाले दिल्लीवालों से कम तो ठहरे नहीं, सो उन्होंने अपनी अलग, समानांतर जांच शुरू कर दी.

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अंतर ये था कि मुर्गा उड़ गया था, सामान के नाम पर पड़े मिले, श्रीशांत का लैपटॉप, उसके अधोवस्त्र, गंजी, टी-शर्ट जो मिला उठाया और अपना प्रेस कॉन्‍फ्रेंस कर लिया. दिल्लीवाले मुखौटे में क्रिकेटर और बिन मुखौटे के सटोरियों के साथ तस्‍वीरें खिंचा चुके थे. जो चूक गए थे उन्होंने उनके कपड़ों से काम चलाया.

जिद्दी बैलों की भिड़ंत में घास-पात का अंत तो होना ही है, और आश्चर्य नहीं होगा अगर कुछ निर्दोष गर्दन इस जिद की जद में आ जाएं. दिल्ली वालों ने लोग पकड़ रखे थे, मुंबई वालों के पास बस सामान था. सो उन्होंने कुछ सटोरिये धर लिए. पुलिस को पता होता है, उनकी इंटेलिजेंस होती है जिसका उपयोग ऐसे मौकों पर ही तो किया जाता है. एक के बाद एक व्यास और उसके कुछ ख़ास और बाकी आम. दुबई वाले इब्राहिम के मुंबई के दड़बों में हडकंप मचा दी पुलिस ने.

एक भजन है दाता एक राम भिखारी सारी दुनिया. यहां डाटा ही राम था, और जो डाटा मिला उसमें कुछ निजी था जो पुलिस ने सार्वजनिक कर दिया.

बहरहाल श्रीशांत के कमरे का हाल आपके कमरे में टीवी के जरिए पहुंच गया. डाटा फॉरेंसिक सबूत है और वह सबूत मुंबई पुलिस के पास है. अभियुक्त दिल्ली के पास. इनके बीच की मिक्सिंग में उलझने लगी है फिक्सिंग की कहानी. पर दिल्ली के बेहतर प्रदर्शन का दबाव मुंबई पर था. लोग तो धरे थे पर कोई नामी नहीं था. तभी एक सटोरिये के फोन से रुस्तम-ए-हिन्द दारा सिंह के बेटे विन्दु का नम्बर मिला. विन्दु हिरासत में. सेलेब्रिटी पकड़ लिया. हिसाब बराबर.

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विन्दु के बलशाली पिता कुश्ती के सितारे थे, अभिनेता भी थे. उनका बेटा अभिनेता बन ना पाया, कुश्ती भी नहीं लड़ी और दो शहरों की पुलिस की धींगामुश्ती में एक के हत्थे चढ़ गया है. फिर तस्‍वीरें दिखीं जिनमें वह साक्षी धोनी के बाजू में बैठ आईपीएल देख रहा था. इतना काफी है इशारों के लिए. थोडा इंतज़ार कीजिए विन्दु की फोटो पता नहीं किस बड़े नाम के साथ दिख जाए.

अब दिल्ली पर दबाव रहेगा अगली चाल का, जो विन्दु को मात दे सके. कम से कम चंद्रविन्दु तो हो ही. क्योंकि ये दौड़ है, प्रतियोगिता है. पुलिस की मूंछ का सवाल है. हाल के इतिहास पर गौर कीजिए तो साफ़ हो जाएगा कि गिरफ्तारी की होड़ में, मैडल की दौड़ में कैसे बेगुनाहों को बेगुनाही का सबूत अदालत में देना पड़ा, क्योंकि शोर-ए-गिरफ़्तारी में और कोई सुनता ही नहीं. पर ये विवाद की बातें किसी और दिन. आज तो आनंद लीजिए आईपीएल के बेसहारा हो जाने का. कल के श्री के शांत हो जाने का.

प्रतियोगिता मनुष्य के अन्दर की छिपी प्रतिभा को उभारती है, और उसकी बुराइओं को भी. हो सकता है कि पुलिस सचमुच श्रीशांत के खिलाफ कुछ सबूत निकाल लाए. तौलिए में लिपटा सबूत कहीं तो होगा आखिर. अभी तक तो बस इतना प्रचार किया जा रहा है कि श्रीशांत ने अपनी महिला मित्र को ब्लैकबेरी का जेड-10 फोन दिया था अपनी काली कमाई से. ब्लैकबेरी कंपनी के जैसे हालात हैं थोड़े दिनों में श्रीशांत ए टू जेड पूरी कंपनी ही सफ़ेद कमाई से गिफ्ट कर सकते थे. पर पुलिस वाले क्यों पता करें कि ब्लैकबेरी की कीमत क्या है? जब उन्हें मालूम है कि यह दुनिया का सबसे महंगा और बेहतरीन फ़ोन है. पिछली दिवाली गिफ्ट में उन्हें जिस दलाल ने दिलाया था, उसने तो यही कहा था. और उस दलाल से भरोसेमंद और कौन हो सकता है? वह काली कमाई में वाजिब पर्सेंटेज देने में एक पैसे का हेरफेर नहीं करता.

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