उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई और बिहार पुलिस को राजद के पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को फौरन गिरफ्तार करने का निर्देश दिया है. पप्पू यादव माकपा नेता अजित सरकार की 12 साल पहले हुई हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं.
न्यायमूर्ति मार्कण्डेय काटजू और न्यायमूर्ति एके पटनायक की एक पीठ ने आश्चर्य जताया कि उच्चतम न्यायालय में उनकी जमानत अर्जी तीन मई को खारिज कर दिये जाने के बाद भी यादव को गिरफ्तार नहीं किया गया है.
उन्होंने कहा, ‘हम यह देखकर आश्चर्यचकित हैं कि इस शीर्ष न्यायालय द्वारा जमानत की अर्जी खारिज कर दिये जाने के बावजूद न तो आरोपी ने आत्मसमर्पण किया है और न ही उसे हिरासत में लिया गया है.’ पीठ ने एक आदेश में कहा, ‘हमने आत्मसमर्पण से छूट को लेकर पुनर्विचार याचिका और संलग्न कागजातों पर सावधानीपूर्वक गौर किया. हमें उसमें कुछ भी तथ्य नहीं मिला और इसके बाद इन्हें खारिज कर दिया गया. {mospagebreak}
शीर्ष न्यायालय ने तीन मई 2010 को यादव की जमानत को खारिज करने वाले आदेश के खिलाफ दायर की गई पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश जारी किया है. पीठ ने कहा, ‘सीबीआई और बिहार पुलिस के महानिदेशक को तीन मई 2010 के इस न्यायालय के आदेश का फौरन पालन करने का निर्देश दिया जाता है और आज से चार हफ्तों के भीतर इस न्यायालय में एक अनुपालन रिपोर्ट भेजें.’
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने यादव की जमानत की अर्जी को खारिज करते हुए कहा था कि उन्हें जमानत दिये जाने संबंधी पटना उच्च न्यायालय का फैसला शीर्ष न्यायालय की अवमानना माना जा सकता है, जिसने देश की किसी भी अदालत को यादव को जमानत देने में संयम बरतने को कहा था.
सीबीआई ने 26 मार्च को शीर्ष न्यायालय में पटना उच्च न्यायालय के 18 फरवरी 2009 के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसके तहत इस 43 वर्षीय नेता को जमानत दी गई थी. सीबीआई के विशेष न्यायाधीश बीएम श्रीवास्तव ने 14 फरवरी 2008 को पप्पू यादव, पूर्व निर्दलीय विधायक राजन तिवारी और अनिल यादव को दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई थी.